Lucknow News: The authority itself is accused of saving tainted officers, cabinet minister's letter revealed

कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल नंदी

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उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक प्राधिकरण (यूपीसीडा) में दागी अफसरों पर कार्रवाई के लिए महकमे के मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी के सख्त निर्देशों को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे एक अफसर को बचाने के लिए विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की कार्यशैली पर कैबिनेट मंत्री की टिप्पणी वाली चिट्ठी महकमे में चर्चा का विषय बनी है।

औद्योगिक विकास और निवेश प्रोत्साहन मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने 28 जुलाई 20222 को ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को पत्र लिखकर नोएडा प्राधिकरण के महाप्रबंधक पी के कौशिक द्वारा की गई अनियमितताओं की जांच के आदेश दिए थे। लेकिन जांच रिपोर्ट देखने के बाद मंत्री ने साफ लिखा कि तथ्यों को छिपाकर उन्हें बचाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके बावजूद हाल के तबादलों में कार्रवाई के बजाय पी के कौशिक को पुन: महाप्रबंधक के पद पर नोएडा प्राधिकरण में तैनाती दे दी गई। अनियमितताओं के आरोप में कौशिक का एक वर्ष पूर्व नोएडा से मुख्यालय स्थानांतरण किया गया था।

मंत्री ने ग्रेटर नोएडा सीईओ से पूछे ये सवाल

-ग्रेटर नोएडा स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में तत्कालीन मुख्य सचिव आर के तिवारी ने निरीक्षण किया और जलभराव देख कौशिक पर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। वजह ये थी कि जलभराव की समस्या दोबारा ठीक कराने के नाम पर 55 करोड़ का खर्च दिखा दिया गया था। मामले में क्या हुआ।

-अधिकारियों को दिवाली की मिठाई देने के नाम पर एक दुकान से जबरन 41 हजार रुपये की मिठाई बिना भुगतान किए वसूली के आरोप में एफआईआर दर्ज करने के आदेश कोर्ट ने दिए थे। क्या हुआ। बाद में मिठाई विक्रेता ने भी कौशिक पर एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद क्या कार्यवाही की गई।

-संविदा पर आए कौशिक पर जामिया मिलिया इस्लामिया की सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री फर्जी होने का आरोप। इसी डिग्री के आधार पर निरंतर प्रमोशन होते रहे। जांच किस स्तर पर है।

सवालों का जवाब न मिलने पर भड़के मंत्री

इन सवालों के गोलमोल जवाब मिलने से भड़के मंत्री ने कहा कि जवाबों की पूरी रिपोर्ट ही भ्रामक है। महीनों से सिविल इंजीनियरिंग डिग्री की जांच न कराने पर उन्होंने कहा कि इसी से साफ है कि दागी अधिकारी पर प्राधिकरण के वरिष्ठों की ही कृपादृष्टि है। इस पत्र में यहां तक लिखा गया है कि महकमे के मंत्री को भेजे जाने वाले पत्र का निरीक्षण सीईओ नहीं करते। गलत सूचना देने पर प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमनदीप डुली की चरित्र पंजिका पर चेतावनी जारी करने के निर्देश तक देने पड़े।



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