Lucknow News: Court sentenced terrorists Atif Muzaffar and Mohammad Faisal to death

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के सदस्य आतिफ मुजफ्फर और मोहम्मद फैसल को एटीएस/एनआईए के विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्रा ने फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही 11.70-11.70 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। ये भारत की अखंडता, एकता, अखंडता और राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा पहुंचाने, काफ़िरों को जान से मारने और कानपुर के रिटायर्ड टीचर के हाथ में बंधे कलेवा से हिंदू पहचान सुनिश्चित करके हत्या करने और साज़िश रचने समेत अन्य अपराधों के आरोपी हैं।

कोर्ट ने जुर्माने की सारी रक़म मृतक रमेश बाबू के आश्रितों को देने का आदेश दिया है। साथ ही ज़िला मजिस्ट्रेट लखनऊ को आदेश दिया कि वह रमेश बाबू शुक्ला के परिजनों की पहचान सुनिश्चित करे जिससे उन्हें क्षतिपूर्ति की धनराशि दी जा सके। इसके पहले आरोपी आतिफ़ मुजफ्फर और मोहम्मद फ़ैसल को वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए जेल से कोर्ट में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने सजा के बिंदु पर सुनवाई की।

कोर्ट ने दोषियों को फाँसी की सजा सुनाते हुए कहा की दोषियों का अपराध विरलतम से विरल श्रेणी का है, इसे सामान्य हत्या की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाते हुए कहा की उनको हाईकोर्ट से पुष्टि हो जाने के बाद फांसी दी जाएगी। कोर्ट में एनआईए के विशेष लोक अभियोजक एमके सिंह,केके शर्मा और बृजेश कुमार यादव ने बताया की इस मामले कि रिपोर्ट वादी अक्षय शुक्ला ने कानपुर के चकेरी थाने में 24 अक्तूबर 2016 को दर्ज कराई थी।रिपोर्ट दर्ज कराकर बताया गया था की वादी के पिता रमेश बाबू शुक्ल स्वामी आत्मा प्रकाश ब्रह्मचारी जूनियर हाई स्कूल में तीस सालो से टीचर है। कहा गया कि 24 अक्तूबर 2016 को वादी के पिता रमेश बाबू स्कूल से वापस आ रहे थे तभी किसी ने उन्हें गोली मार दी।जिन्हें अस्पताल ले जया गया कहा उनकी मृत्यु हो गई।

             

इसी के बाद 7 मार्च 2017 को एटीएस सूचना मिली कि उज्जैन ट्रेन ब्लास्ट की साजिश में शामिल रहा इस्लामिक स्टेट का आतंकी काकोरी रोड के पास एक मकान में रह रहा है। सूचना पर एटीएस और पुलिस ने दबिश दिया जहा मुठभेड़ के बाद आतंकी सैफुल्लाहपुलिस की गोली से मारा गया।इस दैरान एटीएस को सैफुल्लाह के घर से काफी मात्रा में हथियार,गोला बारूद के साथ ही आपत्तिजनक समान मिला था।जिसपर मामले की विवेचना एनआइए को सौंप दी गई थी,विवेचना के दौरान एनआईए को पता चला कि सैफुल्लाह के घर से जो हथियार बरामद हुए थे। उनका प्रयोग कानपुर के शिक्षक की हत्या समेत अन्य अपराध में भी हुआ है।

एनआइए ने विवेचना के बाद चार्जशीट दाखिल कर बताया की जब कानपुर के चकेरी के रहने वाले फ़ैसल को गिरफ़्तार किया तो उसने बड़े खुलासे किए। फ़ैसल ने बताया की जहां आतिफ़ मुजफ्फर और सैफ़ुल्लाह उसके मोहल्ले के ही रहने वाले है। फ़ैसल ने इस साज़िश का खुलासा करते हुए बताया था की वो सभी लोग आइएसईआइएस की तंजीम से बहुत प्रभावित थे और सभी ने जाजमऊ टीले पर दीन और इस्लाम के लिए कुछ करने और जेहाद करने की क़सम ली थी। इन कट्टरपंथियों ने ख़लीफ़ा की क़सम भी ली थी कि ये सभी ख़लीफ़ा के हुक्म की तामील करेंगे और ख़लीफ़ा की हुक्मउदुली नहीं करेंगे। ये सारे कट्टरपंथी इस बात पर विश्वास करते थे की ख़लीफ़ा की दिखाई राह पर चलकर उन्हें जन्नत मिलेगी और जन्नत में उनके स्वागत के लिए हूरे मौजूद रहेंगी।

बताया गया की आतिफ़ ने घोषणा की थी कि बहुत कोशिशों के बाद भी जब तक वह सब देश के बाहर नहीं जा पा रहे है तब तक हिंदुस्तान में ही रहकर तैयारी करेंगे, इसी क्रम में दोषी अटैक की प्रैक्टिस किया करते थे और अपनी जेहाद विचारधारा के परीक्षण के लिए 24 अक्तूबर 2016 को सैफ़ुल्लाह, आतिफ़ और फ़ैसल ने कानपुर के चकेरी में अकारण ही सेवानिवृत्त शिक्षक रमेश बाबू शुक्ला के हाथ में कलावा देखकर रमेश बाबू की हिंदू पहचान सुनिश्चित हो जाने पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी।एनआईए के विशेष न्यायाधीश ने आरोपी आतिफ़ मुजफ्फर और मोहम्मद फ़ैसल पर 10 सितंबर 2018 को आरोप तय किया थे। बताते चले दोनों आरोपीयो को गत 28 फ़रवरी को एनआईए कोर्ट अन्य मामले में फांसी की सजा से दंडित भी कर चुकी है।वही दोनों दोषी भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन बम ब्लास्ट मामले के भी आरोपी है और यह मामला भोपाल की कोर्ट में चल रहा है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *