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एक दो नहीं बल्कि 11 नाबालिग बच्चों को बिहार से पंजाब ले जाया जा रहा था बाल श्रम के लिए। बचपन बचाओ आंदोलन की टीम ने इसकी सूचना चाइल्ड लाइन लखनऊ को दी। निदेशक संगीता शर्मा की सक्रियता से सभी बच्चों को ट्रेन के लखनऊ पहुंचने पर रेस्क्यू कर लिया गया। इनकी उम्र 13 से 17 साल के बीच है।

निदेशक चाइल्ड लाइन डॉ. संगीता शर्मा ने बताया कि बचपन बचाओ आंदोलन के प्रोजेक्ट कोआर्डनिेटर देशराज सिंह ने सूचना दी गई कि आम्रपाली एक्सप्रेस ट्रेन संख्या 15707 से कटिहार जिला बिहार से 11 बच्चों को बाल श्रम करवाने के लिए अमृतसर ले जाया जा रहा है। सूचना प्राप्त होने पर बचपन बचाओ आंदोलन से सहायक परियोजना अधिकारी कृष्ण शर्मा व ललित कुमार, चाइल्ड लाइन रेलवे, एएचटीयू, आरपीएफ ,जीआरपी, की संयुक्त टीम ने बच्चों को रेस्क्यू किया।

बच्चों ने बताया कि पूर्णिया बिहार निवासी शिवम कुमार, मधेपुरा निवासी दिलीप द्वारा सभी बच्चों को काम करवाने के लिए अमृतसर, जलेधर, ले जाया जा रहा था। बच्चों ने बताया कि वहां पर मुर्गी फार्म में काम करवाएंगे। इनमें से कुछ बच्चे पहली बार जा रहे, कुछ दूसरी बार। सात से आठ हजार रुपये इन्हें दिए जाने का आश्वासन दिया गया। बच्चों को सीडब्ल्यूसी के समक्ष पेश करने के बाद मोहान रोड स्थित बालगृह बालक भेज दिया गया। इस मामले में ऐशबाग थाने में मुकदमा दर्ज बाल श्रम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।



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