Two then officers of Kanpur Development Authority trapped in vigilance investigation

कानपुर विकास प्राधिकरण
– फोटो : अमर उजाला

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कानपुर विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता केके पांडेय (सेवानिवृत्त) और तत्कालीन अधिशासी अभियंता डीसी यादव शासन के निर्देश पर हुई खुली जांच में करीब 2.25 करोड़ रुपये की वित्तीय क्षति के दोषी पाए गये हैं। जिसके बाद दोनों के खिलाफ विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। मामला जूही इलाके में सड़कों के सुधार का टेंडर देरी से स्वीकार करने से संबंधित है।

बता दें कि शासन ने वर्ष 2018 में कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा प्राधिकरण की योजना डब्ल्यू ब्लॉक, जूही के पश्चिम भाग में सड़कों के सुधार के लिए जारी टेंडर को समय से स्वीकार नहीं करने की खुली जांच का आदेश विजिलेंस को दिया था। दरअसल, टेंडर स्वीकार करने में देरी से प्राधिकरण को 2,25,18,525 रुपये की वित्तीय क्षति हुई थी। विजिलेंस ने खुली जांच की अंतिम रिपोर्ट 16 जनवरी 2020 को शासन को सौंपी थी। तत्पश्चात केके पांडेय के प्रत्यावेदन को शामिल करते हुए 13 जुलाई 2023 को अनुपूरक रिपोर्ट शासन को दी।

जांच में पाया गया कि केके पांडेय और डीसी यादव ने लोक सेवक होने के बावजूद कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। उनको प्राधिकरण के वित्त एवं लेखा मैनुअल के प्राविधानों के उल्लंघन का दोषी भी पाया गया। विजिलेंस की रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद शासन ने 14 सितंबर 2023 को दोनों तत्कालीन पूर्व अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, जिसके बाद विजिलेंस के कानपुर सेक्टर ने मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है।



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