picture of the alliance of the Lok Sabha elections became clear from the Legislative Council by-election

अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ
– फोटो : सोशल मीडिया

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विधान परिषद उप चुनाव से प्रदेश में लोकसभा चुनाव के गठबंधन की तस्वीर साफ हो गई है। परिषद की दो सीटों पर सोमवार को हुए उप चुनाव में भाजपा और सपा अपने अपने गठबंधन के सहेजने में सफल रहे। वहीं सुभासपा के विधायकों ने भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने से लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सपा और भाजपा का गठबंधन होने का संकेत मिल गया।

विधान परिषद उप चुनाव में भाजपा गठबंधन के पास 274 मत थे। जबकि भाजपा के प्रत्याशी पदमसेन चौधरी को 279 और मानवेंद्र सिंह को 280 मत मिले हैं। उप चुनाव में क्रॉस वोटिंग रोकने के लिए लंबी मशक्कत के बाद पार्टी ने आखिरकार अपने वोट बैंक को सहेजे रखने में सफलता प्राप्त की। सपा और सुभासपा गठबंधन टूटने के बाद से सुभासपा का एक बार फिर भाजपा से गठबंधन होने के अटकलें लग रही थी।

उप चुनाव में मतदान से पहले भले ही सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने मतदान को गुप्त बताते हुए पत्ते नहीं खोले। लेकिन उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के हाथ में हाथ मिलाकर बाहर निकलते समय संकेत मिल गया था कि सुभासपा ने भाजपा को समर्थन किया है। सुभासपा के छह में से एक विधायक अब्बास अंसारी जेल में बंद हैं। सुभासपा के चार विधायकों ने भाजपा के प्रत्याशियों के समर्थन में मतदान किया। उप चुनाव में सुभासपा के भाजपा को समर्थन करने से साफ हो गया है कि लोकसभा चुनाव में सुभासपा एक बार फिर एनडीए का हिस्सा बनेगी। वहीं चर्चा है कि जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और विनोद सरोज ने भी भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान किया। इस तरह भाजपा के प्रत्याशियों को मिले मतों की संख्या 280 तक पहुंची हैं। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के सहयोगी अपना दल और निषाद पार्टी एनडीए में ही रहेंगे।

उधर, सपा गठबंधन के पास 118 विधायक हैं। इसमें से इरफान सोलंकी और रमाकांत यादव जेल में हैं। जबकि मनोज पारस बीमार होने के कारण मतदान करने नहीं पहुंचे। इस हिसाब से सपा गठबंधन के पास 115 विधायकों के मत ही थे। सपा के रामजतन राजभर को 115 और रामकरन निर्मल को 116 वोट मिले हैं। वोटों के गणित से साफ है कि सपा गठबंधन ने सत्ता पक्ष की तमाम कोशिश के बावजूद अपने खेमे में सेंध नहीं लगने दी। रामकरन निर्मल को एक मत ज्यादा मिलने से कयास लगाए जा रहे हैं कि सुभासपा के एक विधायक का मत भाजपा को मिला है। यह विधायक मूलतः सपा के ही हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में सुभासपा के सिंबल पर चुनाव लड़े थे। उन्होंने अंतरात्मा की आवाज सुनकर सपा को वोट किया। उप चुनाव से संकेत मिलता है कि सपा और रालोद का गठबंधन लोकसभा चुनाव तक बदस्तूर जारी रहेगा।

अपने एजेंडे पर सफल रही सपा

विधान परिषद उप चुनाव में भले ही सपा को दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन सपा अपने चुनावी एजेंडे को साधने में सफल रही। विधायकों की संख्या बल के आधार पर सपा नेतृत्व को शुरुआत से ही हार का आभास था। लेकिन बीते चुनाव के जरिए सपा ने बीते पंद्रह दिन से ना केवल माहौल बनाया। बल्कि दलित व पिछड़े प्रत्याशी को मैदान में उतारकर मीडिया में भाजपा को घेरने में कसर भी नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा को करीब पांच सात दिन परिषद चुनाव की मशक्कत में भी उलझा दिया।

दुविधा में रहे कांग्रेस और बसपा

लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए जहां एक ओर तमाम विपक्षी दल एकजुट होकर महागठबंधन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं प्रदेश में विधान परिषद उप चुनाव में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और बसपा मतदान में शामिल नहीं हुए। जानकारों का मानना है कि दोनों दल सपा के साथ गठबंधन को लेकर दुविधा की स्थिति में रहे।

भाजपा गठबंधन के विधायक – 274 (भाजपा 255, अपना दल एस 13 और निषाद पार्टी 6)

सपा गठबंधन – 118 (सपा के 109 और रालोद के 9 विधायक)

सुभासपा – 6

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक – 2

कांग्रेस – 2

बसपा – 1



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