Lucknow News: PIL dismissed in the case of posting of government lawyers in the High Court

इलाहाबाद हाईकोर्ट।
– फोटो : अमर उजाला।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से की गई हाईकोर्ट में वकीलों की तैनाती (आबद्धता) में अनियमितताओं के आरोप वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा, इस याचिका में उठाया गया मुद्दा पहले ही हाईकोर्ट की समकक्ष पीठ में विचाराधीन है। मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने यह आदेश सुनीता शर्मा व एक अन्य अधिवक्ता की याचिका पर दिया।

याचिका में राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में अपर महाधिवक्ता, एजीए, एसीएससी, स्थायी अधिवक्ता व ब्रीफ होल्डर्स की आबद्धता प्रक्रिया का मुद्दा उठाया गया था। याचियों का कहना था कि आबद्धता में सक्षमता व अर्हता को दरकिनार कर बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए इनकी तैनाती की गई। याचियों ने इसकी जांच करने के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति बनाने के निर्देश देने का आग्रह किया था।

उधर, याचिका का विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि महाधिवक्ता की अध्यक्षता में बनी समिति ने संबंधित नियम-कानूनों पर गौर करने के बाद सूची को अंतिम रूप देकर वकीलों को नियुक्त किया गया। याचियों ने राज्य के सक्षम व्यक्ति को अप्रोच किए बिना ही यह पीआईएल दाखिल कर दी, जो खारिज करने योग्य है।

कोर्ट ने पाया कि याचिका में उठाए गए समान मुद्दे पर राम शंकर तिवारी उर्फ राम शंकर व अन्य बनाम उप्र राज्य नामक पीआईएल पहले से ही हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इसके मद्देनजर कोर्ट ने वर्तमान याचिका को सुनवाई के लिए ग्रहण करने से इन्कार करते हुए खारिज कर दिया।



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