Police exposes the gang who use to print fake currency.

आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद प्रेस कांफ्रेंस करती पुलिस
– फोटो : amar ujala

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लखनऊ में गोमतीनगर के विराजखंड स्थित होटल पार्क व्यू इन में जाली नोट छापे जा रहे थे। इसका खुलासा करते हुए क्राइम ब्रांच और मड़ियांव पुलिस ने सोमवार को जाली नोट छापने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर पांच शातिरों को गिरफ्तार किया। गोंडा का रवि प्रकाश पांडेय और दिल्ली का विकास भारद्वाज गिरोह के सरगना हैं। रवि प्रकाश होटल का मैनेजर भी है और कमरे में ही उसने नोट छापने की मशीन लगा रखी थी। बाजार में जाली नोट खपाने के लिए गुर्गे रखे हुए थे। आरोपियों के पास से 3.20 लाख के जाली नोट बरामद हुए। पुलिस ने आरोपियों को दोपहर बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से जेल भेजे गए। गिरोह में कई और सदस्य शामिल हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है।

डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी ने बताया कि टीम को जाली नोट छापने वाले गिरोह के बारे में जानकारी मिली थी। इसी आधार पर पुलिस की एक टीम रविवार देर रात घैला पुल के पास संदिग्ध वाहनों की चेकिंग कर रही थी। इस दौरान एक कार पुलिसकर्मियों को देखकर रुकी और तीन युवक बाहर उतरे। टीम ने पूछताछ शुरू की। इसमें प्रतापगढ़ निवासी विकास दुबे, इटौंजा का विकास सिंह और दिल्ली का विकास भारद्वाज शामिल था। तलाशी के दौरान आरोपियों के पास से जाली नोट बरामद हुए। पूछताछ में तीनों ने बताया कि जाली नोट छापकर सप्लाई करते हैं। गिरोह में गाेंडा का रवि प्रकाश उर्फ अविनाश पांडेय और बाराबंकी के महाकोठी का उत्कर्ष द्विवेदी भी है। पुलिस ने इन दोनों को भी उठाया। पूछताछ व साक्ष्य जुटाने के बाद सभी को गिरफ्तार कर लिया। मामले में मड़ियांव थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है।

20 हजार में एक लाख रुपये के जाली नोट

डीसीपी ने बताया कि रवि विराजखंड स्थित होटल पार्क व्यू इन में काम करता है। होटल में ही बने एक कमरे में वह रुकता है। उसी में नोट छापता है। शातिर ने मशीनें, कागज और स्याही समेत छपाई का सारा सामान कमरे में रख रखा है। डीसीपी ने बताया कि आरोपी बांड वाले कागज का इस्तेमाल करते थे। इसमें सिक्योरिटी थ्रेड की जगह आरबीआई प्रिंट की एक पतली पन्नी का इस्तेमाल करते थे। 20 हजार रुपये में एक लाख रुपये के जाली नोट देते थे। इस खुलासे के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर होटल मालिक और वहां के कर्मचारियों को इस खेल की जानकारी क्यों नहीं लगी।

गिरोह में तीन विकास, खुलते गए राज

पुलिस ने सबसे पहले जिन तीनों आरोपियों को पकड़ा था, उन सभी का नाम विकास था। शुरुआत में इन्हीं तीनों से पूछताछ के बाद गिरोह का राजफाश हो गया। पूछताछ में पता चला कि विकास दुबे पेशे से प्रॉपर्टी डीलर है। विकास सिंह 12वीं पास छात्र, विकास भारद्धाज टॉवर लगाने का काम करता है। रवि होटल में काम करता है, जबकि आरोपी उत्कर्ष निजी चालक है।

ये आरोपी आए पकड़ में 

– विकास दुबे उर्फ अजय, कल्याणपुर भौरहा, अंतू प्रतापगढ़ प्रॉपर्टी डीलर, हैंडलर

– विकास सिंह, नारायणपुर इटौंजा, लखनऊ, स्टूडेंट

– विकास भारद्वाज, अलीपुर नई दिल्ली, टावर लगाने का काम एजेंट सप्लाई करता था।

– रवि प्रकाश उर्फ अविनाश पांडेय, कौड़िया बाजार, गोंडा, होटल का मैनेजर

– उत्कर्ष द्विवेदी, महाकोठी बाराबंकी, चालक



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