
शूटर अंशू दीक्षित।
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चित्रकूट जेल में माफिया मुकीम काला और मुख्तार के सहयोगी मेराज अहमद की हत्या का मकसद जांच में सामने नहीं आया है। तीनों के बीच कोई पुरानी अदावत होने का प्रमाण भी न्यायिक जांच आयोग को नहीं मिला है। हालांकि कुछ घटनाक्रम से इस जघन्य कांड पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। मुकीम और मेराज की हत्या के बाद अंशू दीक्षित ने पिस्टल मांगने वाले जेल वार्डर जगमोहन से कहा था कि ”जगमोहन भाई यह काम सिस्टम का है, आप तो जानते ही हो कि एक देशद्रोही है और एक मुख्तरवा का आदमी है। अब मैं किसी को नहीं मारूंगा। आप दस मिनट बाद आकर पिस्टल ले जाना।”
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में जेल वार्डर जगमोहन की भूमिका को संदेहास्पद माना है। दरअसल, उसने बयान दिया कि घटना के दिन वह सादे वस्त्रों में अपनी दवा लेने आया था। हालांकि इसकी पुष्टि जेल के डॉक्टर ने नहीं की। इसके अलावा मेराज के साथ मौजूद बंदी फरहान ने बयान दिया कि घटना के 5-6 दिन पूर्व पूर्व प्रधान मुख्य काशी प्रसाद सोनी ने उससे और अन्य बंदियों से कहा था कि कारागार में कोई बड़ी घटना होने की संभावना है। जिसमें उसे 11 लाख रुपये की हानि हो सकती है। वह पेंशन पाना चाहता है, लेकिन साहब इससे सहमत नहीं हैं। हालांकि उसने साहब का नाम नहीं बताया था। इसी वजह से आयोग ने इस घटना में कारागार कर्मियों और अंशु दीक्षित की साजिश की संभावना से इंकार नहीं किया है और मुकदमे की गहन जांच में ही इसका खुलासा होने की बात कही है।
चेहरे पर कपड़ा लपेट कर की हत्या
अंशू दीक्षित ने चेहरे पर कपड़ा लपेटकर हाई सिक्योरिटी बैरक में अखबार पढ़ रहे मुकीम काला की हत्या कर दी थी। उसके बाद वह एक हाथ में पिस्टल लहराता हुए किसी से मोबाइल से बात करते हुए बाहर आया। उसने बंदी मेराज और फरहान से भाग जाने को कहा। मेराज ने अंशू को रोकने का प्रयास किया, जिसके बाद अंशू ने उसे भी मार दिया। वहीं फरहान दरवाजा खोलकर भागने में सफल रहा। तत्पश्चात अंशू ने कुछ बंदियों को बंधक बना लिया। उसे रिहा कराने आए जेलकर्मियों और पुलिस ने मुठभेड़ में उसे मार गिराया।
आयोग की संस्तुतियां
– मुठभेड़ के दौरान कई पुलिसकर्मियों के पास हथियार नहीं थे। ऐसे पुलिसकर्मियों को मुठभेड़ में शामिल नहीं किया जाए।
– अवैध शस्त्र, मोबाइल जेल में नहीं पहुंचे, इसका तंत्र विकसित किया जाए। केंद्र या राज्य की स्वतंत्र अर्द्धसैनिक बल को तैनात किया जाए। इनकी तैनाती 3-4 माह के लिए हो ताकि वह किसी से घनिष्ठता ने स्थापित कर सकें।
– जेलकर्मी भी तलाशी का कार्य करें। वे नागरिक पुलिस, होमगार्ड, लंबरदारों द्वारा तलाशी लेने पर मूकदर्शक न बने रहें।
– चित्रकूट जेल में महिला कर्मियो की भी तैनाती हो, जिससे तलाशी के बिना कोई महिला अंदर न जा सके। बिना इंट्री जेल में किसी का प्रवेश नहीं होना चाहिए।
– सामान इत्यादि की तलाशी के लिए द्वितीय द्वार पर जेलकर्मियों को तैनात किया जाए।
– हाईसिक्योरिटी बैरक के मुख्य द्वार और खिड़कियों पर ताला रहना चाहिए। आवश्यकता पड़ने पर ही इसे खोला जाए।
– सीसीटीवी को दुरुस्त रखा जाए। कैमरों के मरम्मत के लिए बजट की बाधा नहीं होनी चाहिए।
– जेल के मुख्य द्वार पर प्रसाधन होना चाहिए, ताकि मुख्य द्वार पर तैनात कर्मी को दूर नहीं जाना पड़े।
– यदि कोई जेल अस्थायी रूप से असुरक्षित है तो तत्काल एसपी को सूचित किया जाए। सुरक्षित होने तक सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए।