
माफिया अतीक अहमद और अशरफ। फाइल फोटो
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प्रदेश के अस्पतालों में जनप्रतिनिधियों, कुख्यात अपराधियों का सुरक्षित तरीके से अस्पतालों में मेडिकल परीक्षण कराने का कोई सिस्टम विकसित नहीं है। इसका खुलासा माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल में हुई हत्या की न्यायिक जांच में हुआ है। न्यायिक जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में अस्पतालों में इसका तंत्र विकसित करने की सिफारिश की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति से बचा जा सके।
बता दें कि माफिया अतीक-अशरफ की हत्या की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिलीप बाबा साहब भोंसले की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट बृहस्पतिवार को विधानसभा में पेश की गयी थी। आयोग ने अपनी जांच में अस्पताल में हुए इस हत्याकांड के तमाम पहलुओं का गहनता से अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट में अस्पतालों में किसी भी खूंखार अपराधी, गैंगस्टर, हिस्ट्रीशीटर, पूर्व या वर्तमान सांसद एवं विधायक का अस्पताल में मेडिकल कराने के लिए कई सावधानियां बरतने की संस्तुति की है। जिसमें ऐसे व्यक्तियों के लिए अस्पताल में अलग कक्ष या परिसर मुहैया कराने को कहा गया है, जहां किसी अन्य व्यक्ति का प्रवेश नहीं हो सके।
ऐसे व्यक्तियों को अस्पताल के किस गेट से ले जाना है, इसका फैसला स्थानीय पुलिस और अस्पताल के अधिकारी करें, ताकि आम जनता द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले रास्तों से उनको ले जाने से बचा जा सके। उनको पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त के साथ ले जाया जाए और अस्पताल आने-जाने का समय गोपनीय रखा जाए। अस्पताल के खुले क्षेत्र और गलियारे में किसी भी व्यक्ति को रहने की अनुमति नहीं दी जाए। इस दौरान अस्पताल के सभी गेट पर सशस्त्र पुलिसकर्मी तैनात किया जाए। सभी सूचीबद्ध अस्पतालों में पुलिस चौकी के लिए एक काउंटर बनाया जाए। पूरे परिसर में 24 घंटे निगरानी वाले सीसीटीवी लगाए जाएं। अस्पताल परिसर में चिकित्सकों के अलावा किसी अन्य के लिए पार्किंग नहीं होनी चाहिए। मुख्य द्वार पर सामान की तलाशी के लिए स्कैनर और हथियार अंदर ले जाने के लिए डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर लगना चाहिए।
पुलिस अधिकारी की तरह नियुक्त हों चिकित्सक, दी जाए सुरक्षा
आयोग ने कहा कि ऐसे अस्पतालों में चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मचारियों को डीजी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं के परामर्श तथा डीजीपी मुख्यालय के एडीजी (स्थापना) के निर्देश के अनुसार रखा जाए। उनको पुलिस अधिकारी के रूप में नियुक्त किया जाए और रैंक प्रदान की जाए। उनको प्रशिक्षण दिया जाए। पुलिस अधिकारी पैनल में शामिल सभी चिकित्सालयों को सुरक्षा प्रदान कराएं, जब वहां किसी कुख्यात अपराधी को ले जाना हो। साथ ही करीब दो घंटे पूर्व अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की जाए।