रायबरेली। शासन की मंशा पर गांवों को मॉडल बनाने के लिए चुन तो लिया गया, लेकिन कायाकल्प कराने में कंजूसी बरती जा रही है। शासन से पर्याप्त बजट मिलने के बाद भी खर्च नहीं किया जा रहा है। पहले चरण में चयनित 78 गांवों में अब भी करीब 10 करोड़ रुपये खर्च नहीं किए जा सके हैं।
डीपीआरओ ने प्रगति की समीक्षा करने के बाद सबसे खराब प्रगति वाले 12 ब्लॉकों के एडीओ पंचायत को सात दिन में प्रगति शत-प्रतिशत लाने की चेतावनी दी है। ऐसा न करने पर कार्रवाई की जाएगी।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों को मॉडल बनाने के लिए पहले चरण में 78 गांवों का चयन किया गया था। शासन ने इसके लिए 33.69 करोड़ की धनराशि जारी की। तमाम प्रयास के बाद अब तक 23.94 करोड़ ही खर्च हो पाए हैं। बार-बार चेतावनी के बाद भी गांवों में धनराशि खर्च नहीं हो पा रही है। डीपीआरओ ने प्रगति की समीक्षा की तो ऊंचाहार, राही, शिवगढ़, अमावां, रोहनियां, दीनशाह गौरा, खीरों, डलमऊ, सतांव, महराजगंज, हरचंदपुर ब्लॉकों की प्रगति बेहद खराब मिली।
मॉडल गांवों में आरसी सेंटरों के निर्माण के साथ ही कूड़ा निस्तारण से संबंंधित काम सुस्त मिले। उन्होंने सभी एडीओ को चेतावनी देते हुए कूड़ा निस्तारण के लिए सेंटरों के निर्माण कार्य शत-प्रतिशत पूरा कराकर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं। सबसे ज्यादा ऊंचाहार में 1.62 करोड़ व राही में 1.49 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो सके हैं। डीपीआरओ नवीन सिंह का कहना है कि शासन की प्राथमिकता में शामिल मॉडल गांवों में काम शतप्रतिशत पूरा कराए जाएंगे। इसके लिए सभी एडीओ को निर्देशित किया गया है। लापरवाही बरतने वाले एडीओ पर कार्रवाई होगी।