रायबरेली। बच्चों की जान के दुश्मन बने स्कूलों के संचालक 242 स्कूली वाहनों का फिटनेस करवाना ही भूल गए। परिवहन विभाग की ओर से जारी नोटिसों को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया। बार-बार नोटिस के बाद भी फिटनेस न कराने पर एआरटीओ (प्रशासन) ने मंगलवार को 119 बसों समेत 242 वाहनों को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया है। साथ ही वाहनों के पंजीयन भी तीन महीने के लिए निरस्त कर दिए हैं। सड़कों पर बच्चों को ढोते मिलने पर संबंधित स्कूली वाहनों को सीज कराते हुए संचालकों पर मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं।

पिछले साल गाजियाबाद में अनफिट वाहन से छात्र की मौत के बाद परिवहन विभाग ने स्कूली वाहनों के खिलाफ शिकंजा कसना शुरू कर दिया। परिवहन विभाग में वर्तमान समय में 1261 स्कूली वाहन पंजीकृत हैं। इसमें 119 स्कूली बसाें समेत 242 स्कूली वाहनों का लंबे समय से फिटनेस नहीं कराया गया। अनफिट वाहनों से बच्चों को स्कूल लाने और घर पहुंचाने का काम किया जा रहा है। ऐसे में बच्चों की जान का लगातार खतरा बना हुआ है। एआरटीओ ने ऐसे स्कूली वाहनों का संचालन करने वाले स्कूल संचालकों को नोटिस देकर वाहनों के फिटनेस करवाने के आदेश दिए, लेकिन उनके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी।

बार-बार नोटिस के बाद भी वाहनों का फिटनेस न कराए जाने पर मंगलवार को एआरटीओ ने गंभीर रुख अपनाते हुए संबंधित वाहनों को ब्लैक लिस्ट घोषित करने समेत पंजीयन निरस्त करने की कार्रवाई की है।

इन नियमों का पालन जरूरी

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, स्कूली बस या अन्य वाहन पीले रंग से पेंट होनी चाहिए। वाहन के आगे व पीछे ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा होना चाहिए। सभी खिड़कियों के बाहर लोहे की ग्रिल होनी चाहिए। बस में अग्निशमन यंत्र जरूरी हो। स्कूल वाहन के पीछे स्कूल का नाम और फोन नंबर लिखा होना चाहिए। दरवाजे में ताला लगा हो और सीटों के बीच पर्याप्त जगह होनी चाहिए। इसके लावा चालक को कम से कम पांच साल का वाहन चलाने का अनुभव हो। ड्राइवर के पास लाइसेंस और ट्रांसपोर्ट परमिट होना चाहिए।

लंबे समय से नहीं कराई फिटनेस

जिले में 119 बसों समेत 242 स्कूली वाहनों का फिटनेस लंबे समय से नहीं कराया गया है। संबंधित वाहनों को ब्लैकलिस्ट घोषित करने के साथ ही उनके पंजीयन भी तीन माह के लिए निरस्त कर दिए गए हैं। सड़काें पर चलते मिलने पर ऐसे वाहनों को सीज करने के निर्देश दिए गए हैं।

आरके सरोज, एआरटीओ (प्रशासन)



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