रायबरेली। स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांवों को मॉडल बनाने का सपना साकार नहीं हो पा रहा है। योजना के तहत पांच ब्लॉक क्षेत्र के 70 गांवों को अब तक मॉडल बनाया जाना था। इनमें सिर्फ सात गांव ही मॉडल बन पाए गए हैं।

सरेनी और रोहनियां ब्लॉक क्षेत्र में अभी तक एक भी गांव मॉडल नहीं बना है। इसका खुलासा होने पर बूहस्पतिवार शाम डीपीआरओ ने पांचों ब्लॉक के एडीओ का वेतन रोक दिया। उनसे तीन दिन में जवाब मांगा है।

स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण में जिले के 70 गांवों को मॉडल बनाने के लिए चुना गया। इसके लिए 50 करोड़ से अधिक की धनराशि संबंधित ग्राम पंचायतों को दी गई। निर्धारित समय सीमा के तहत अब तक ग्राम पंचायतों को मॉडल बनाया जाना था लेकिन ब्लॉकों के अधिकारियों की लापरवाही से शासन की मंशा पूरी नहीं हो पा रही है।

सरेनी क्षेत्र के 25 और रोहनियां क्षेत्र के तीन गांवों में से एक भी मॉडल नहीं बना है। इसके अलावा दीनशाह गौरा के 16 गांवों में से एक, ऊंचाहार के 13 में से दो और सतांव के 13 में से चार गांव ही मॉडल बने हैं। इस पर डीपीआरओ ने ऊंचाहार के एडीओ सत्येंद्र मिश्रा, सतांव के एडीओ प्रणवीर सिंह, ऊंचाहार के एडीओ संजीव शर्मा, दीनशाह गौरा के एडीओ कैलाशनाथ व रोहनियां के एडीओ बिकाऊ प्रसाद का वेतन रोक दिया है। डीपीआरओ नवीन सिंह ने बताया कि तीन दिन में प्रगति में सुधार न आने पर अन्य कार्रवाई की जाएगी।



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