राजधानी में निजी एंबुलेंस का रैकेट अब सिर्फ मरीजों से वसूली तक सीमित नहीं है। मरीज न मिलने की स्थिति में अब एंबुलेंस लाश ढोने का जरिया बन गई हैं। एंबुलेंस को शव वाहन में बदलकर मनमाना किराया वसूला जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की लचर निगरानी और अस्पतालों की चुप्पी इस गोरखधंधे को बढ़ावा दे रही है। रविवार को हुई पड़ताल में इसका खुलासा हुआ।

स्थान : विवेकानंद अस्पताल

गाड़ी नंबर : यूपी 32 एलएन 8682

रिपोर्टर : एक शव लेकर सीतापुर जाना है।

चालक : सीतापुर ही या आसपास भी?

रिपोर्टर : सीतापुर बस अड्डे के पास।

चालक : एंबुलेंस में लाश लेकर चल देंगे।

रिपोर्टर : कितना किराया लगेगा?

चालक: 3500 रुपये। अस्पताल में किसी से बात मत करना, वहां सब दलाल हैं।

रिपोर्टर: एसी है?

चालक: एसी एंबुलेंस चाहिए तो 4000 रुपये लगेंगे।

रिपोर्टर: ठीक है, बताते हैं।

चालक: नंबर नोट कर लीजिए, फोन करिए, गेट पर एंबुलेंस लगा दूंगा।

स्वास्थ्य विभाग के पास जवाब नहीं

स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने एंबुलेंस में शव ढोने को गंभीर मामला बताया है। सीएमओ डॉ. एनबी सिंह का कहना है कि जांच कराई जाएगी और एंबुलेंस में शव ले जाते मिले तो गाड़ी के नंबर परिवहन विभाग को देकर कार्रवाई कराई जाएगी।

शव वाहन कम, एंबुलेंस से वसूली ज्यादा

जिले में निजी व सरकारी मिलाकर करीब एक हजार एंबुलेंस हैं, जबकि शव वाहनों की संख्या 100 से भी कम है। हर अस्पताल के बाहर एक-दो पुराने शव वाहन खड़े हैं, जिनका माइलेज कम होने से किराया ज्यादा वसूला जाता है। अब चालक सीधे एंबुलेंस से शव ले जाकर अवैध वसूली कर रहे हैं।



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