महिलाओं ने सिंदूर खेला की परंपरा निभाई। नम आंखों से माता के आंचल में खोइंचा भरने की रस्म निभाई गई। बेटी की तरह मां को विदाई देते समय महिलाओं की आंखें नम हो उठीं। सभी ने दोनों हाथ जोड़कर माता से अगले साल फिर से आने की प्रार्थना की। इसके बाद वाहन पर सवार कर माता की प्रतिमा को विसर्जन के लिए रवाना किया गया।
रास्ते पर श्रद्धालुओं ने माता की प्रतिमा की आरती उतारी और फूल बरसाकर स्वागत किया। एक घंटे आठ मिनट के बाद 7.08 बजे माता की प्रतिमा मदनपुरा की सड़क पर पहुंची। फेरी लगाने के बाद गोदौलिया चौराहे की तरफ प्रतिमा का वाहन बढ़ गया।
ढ़ोल-नगाड़ों की थाप और जय माता दी के उद्घोष से गलियां और सड़कें गूंज रही थीं। एक घंटे बाद प्रतिमा गोदौलिया चौराहे पहुंची। चौराहे पर परंपरा के अनुसार, पांच परिक्रमा लगाने के बाद आतिशबाजी की गई। प्रतिमा को मंदाकिनी कुंड की तरफ विसर्जन के लिए ले जाया गया। सुरक्षा की दृष्टि से पांच थानों की पुलिस फोर्स और ड्रोन से निगरानी की जा रही थी। 9.30 बजे माता की प्रतिमा मैदागिन चौराहे पर पहुंची और इसके बाद माता की प्रतिमा को कंपनी बाग के कुंड में 9:55 बजे विसर्जित किया गया।
शहर में हुआ प्रतिमाओं का विसर्जन
शहर के सभी पूजा पंडालों की प्रतिमाओं का विसर्जन शनिवार को हुआ। सनातन धर्म इंटर कॉलेज, श्री दुर्गा स्पोर्टिंग क्लब चेतगंज, न्यू फ्रेंड्स क्लब सहित सभी क्लबों की प्रतिमाओं का विसर्जन शाम को हुआ। शहर के दूसरे इलाकों में सुबह से ही प्रतिमाओं का विसर्जन शुरू हो गया था।