Madrasas in controversy: It is not just religion, English, mathematics and science are also taught

यूपी के मदरसे।
– फोटो : अमर उजाला

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प्रदेश के मदरसों में आधुनिक विषयों की भी पढ़ाई छात्रों को कराई जाती है। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त मदरसों में मुंशी-मौलवी हाई स्कूल के समकक्ष, आलिम इंटर के समकक्ष, कामिल स्नातक और फाजिल परास्नातक के समकक्ष पढ़ाई होती है। इन मदरसों में परंपरागत विषयों के साथ हिंदी, अंग्रेजी, गणित के अलावा कंप्यूटर आदि आधुनिक विषय भी छात्रों को पढ़ाये जाते हैं।

मदरसा बोर्ड की रजिस्ट्रार डाॅ. प्रियंका अवस्थी ने बताया कि मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त और अनुदानित मदरसों में मुंशी-मौलवी (हाईस्कूल के समक्ष) और आलिम (इंटरमीडिएट के समकक्ष) में परंपरागत विषयों के साथ आधुनिक विषय उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान के विषयों की शिक्षा के लिए एनसीईआरटी का पाठयक्रम लागू है। कामिल (स्नातक के समक्ष) में अरबी साहित्य, फारसी साहित्य, उर्दू साहित्य, माकूलात, सामान्य अंग्रेजी, कंप्यूटर एवं विभिन्न धर्म का इतिहास आदि की शिक्षा दी जाती है।

अरबी बोलने के साथ ही अंग्रेजी पढ़ाते हैं मदरसा शिक्षक

मदरसा बोर्ड से जुड़े कई मदरसों के शिक्षक अरबी बोलने में माहिर होने के साथ ही फर्राटेदार अंग्रेजी में बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। गोमतीनगर स्थित मदरसा दारुल उलूम वारसिया मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त होने के साथ ही सरकार से सहायता प्राप्त मदरसा है। यहां बच्चों को अंग्रेजी की शिक्षा देने वाले शिक्षक वसीम बरकाती ने इसी मदरसे से मौलवी और आलिम करने के बाद ख्वाजा मुईनुददीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में परास्नातक की पढ़ाई की है। वसीम ने स्नातक में गोल्ड मेडल हासिल किया है।

यूपी में हैं सरकार से अनुदानित 560 मदरसे, 1100 करोड़ सरकार से मिलती है ग्रांट

मालूम रहे कि प्रदेश में सरकार से अनुदानित 560 मदरसे हैं। इन मदरसों में 1,92,317 विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिये 9646 शिक्षक और 554 शिक्षणेत्तर कर्मचारी नियुक्त हैं। शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के वेतन और परीक्षाओं के लिए हर साल प्रदेश सरकार करीब 1100 करोड़ रुपये की ग्रांट मदरसों को जारी करती है। मदरसों को लेकर हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब मदरसों को मिलने वाली ग्रांट मिलने की उम्मीद भी नहीं की जा रही है। ऐसे में मदरसों के शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन भी फंसने के आसार हैं। मदरसों को सरकार से मिलने वाली ग्रांट से ही शिक्षकों व कर्मचारियों का वेतन और परीक्षाओं का संचालन किया जाता है।

 



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