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MahaKumbh 2025 – फोटो : अमर उजाला
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India Seva Dal history: कुंभ में भूले भटकों को परिवार से मिलाने में पिछले आठ दशक से दो संस्थाएं काम कर रही हैं। 79 साल पहले माघ मेले के दौरान भटके लोगों को मिलाने का जो काम भोपू के सहारे आरंभ हुआ था, वह इस कुंभ में एआई तक पहुंच चुका।
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भूले-भटके शिविर के जरिए अब तक 14 लाख से अधिक लोगों को उनके परिवार के साथ मिलाया जा चुका है। वर्ष 1946 से पहले यहां आकर भटक जाने वालों को मिलाने का कोई उपाय नहीं था।
भारत सेवा दल के अध्यक्ष उमेश चंद्र तिवारी बताते हैं कि 1946 में उनके पिता राजाराम तिवारी स्नान करने प्रयाग आए थे। एक बुजुर्ग महिला अपने परिजनों से भटक गई। राजाराम ने उस महिला को परिजनों से मिला दिया।
इसके बाद पांडेय जी के हाता से भारत सेवा दल की नींव पड़ी। दूसरे दिन से राजाराम अपने साथियों के साथ मेला में भटके लोगों को परिजनों से मिलाने की मुहिम में जुट गए। शुरुआत में भोपू (लाउडस्पीकर) ही सहारा बना।