
आगरा में सदर क्षेत्र की सगी बहनों के धर्मांतरण के मामले में आगरा पुलिस ने मास्टरमाइंड अब्दुल रहमान को दिल्ली के मुस्तफाबाद से गिरफ्तार किया है। वह गोवा की आयशा को धर्मांतरण के लिए फंड मुहैया कराता था। अब्दुल रहमान ही सामूहिक धर्मांतरण के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे माैलाना कलीम सिद्दीकी के गिरोह को मुख्य रूप से संचालित कर रहा था।

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Illegal conversion
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
पुलिस की दबिश में आरोपी के घर से रोहतक की युवती भी बरामद हुई। उसे भी धर्मांतरण के लिए लाए जाने की आशंका है। आरोपी के ठिकाने से मुस्लिम साहित्य के साथ ही धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने वाली पुस्तकें भी मिली हैं। पुलिस उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगी। गिरोह के आतंकी फंडिग के बारे में पड़ताल की जाएगी।

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आगरा धर्मांतरण कांड।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
शनिवार को पुलिस ने धर्मांतरण कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया था। दस आरोपी पकड़े गए थे, जिनको 10 दिन की रिमांड पर लिया गया है। इनमें गोवा की आयशा उर्फ एसबी कृष्णा भी शामिल है। वह धर्मांतरण के लिए आने वाले लोगों और अपने सदस्यों को रुपये मुहैया कराती थी। पुलिस ने उससे पूछताछ की, तो अब्दुल रहमान का नाम सामने आया था। इस पर पुलिस ने उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कराए थे।

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धर्मांतरण के आरोपी।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
इसके बाद आगरा कमिश्नरेट पुलिस ने दिल्ली के सलीमपुरी स्थित मुस्तफाबाद इलाके में दबिश दी। वहां से अब्दुल रहमान को गिरफ्तार कर लिया। उसके घर में हरियाणा के रोहतक निवासी एक युवती भी मिली। रोहतक के थाने में युवती की गुमशुदगी दर्ज है। इस पर वहां की पुलिस से संपर्क किया गया। पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि अब्दुल रहमान गिरोह का मास्टरमाइंड है। वह कनाडा में रहने वाले दाऊद अहमद के संपर्क में है। वह कलीम सिद्दीकी के लिए काम कर रहा था। उसे रिमांड पर लेकर गहनता से पूछताछ की जाएगी।

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आगरा धर्मांतरण केस।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
35 साल पहले महेंद्र से बना था अब्दुल रहमान
पुलिस की पकड़ में आए अब्दुल रहमान ने भी अपना धर्म परिवर्तन किया था। वह मूलरूप से फिरोजाबाद के रजावली स्थित रामगढ़ का रहने वाला है। उसका असली नाम महेंद्र पाल जादाैन है। उसका जन्म 1973 में हुआ था। उसने पहले ईसाई धर्म अपनाया था। 1990 में मुस्लिम धर्म अपना लिया। वह दिल्ली में जाकर बस गया और मजदूरी करने लगा था। तब उसकी मुलाकात मुजफ्फरनगर के कलीम सिद्दीकी से हुई थी। वह उसके लिए काम करने लगा और धर्मांतरण कराने लगा।