Makar Sankranti: Confusion over, know when Sankranti will be celebrated this year

Makar Sankranti
– फोटो : अमर उजाला

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 विगत वर्षों में तिथि व राशियों के गणित के हिसाब से अधिकतर तीज-त्योहारों का मान दो दिन होने से लोगों में काफी असमंजस रहने लगा है। 2024 की यह शुरुआत इस लिहाज से काफी बेहतर है, क्योंकि मकर संक्रांति को लेकर ज्योतिषाचार्यों में किसी तरह का कोई असमंजस नहीं है। तिथियों और राशि की स्थिति को देख सभी यह कह रहे हैं कि मकर संक्रांति 15 को ही मनाई जाएगी।

वैदिक ज्योतिष शोध परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय डॉ. आदित्य पांडेय व ज्योतिषाचार्य धीरेन्द्र पांडेय के मुताबिक, वैदिक ज्योतिष में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को 7 बजकर 15 मिनट से शाम 5:46 बजे तक है। इस दौरान पूजन-दान और सूर्योपासना विशेष फलदायी होगी। इस बार 14 को सूर्य धनु राशि में ही हैं। यह अगले दिन सुबह 8:30 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे, इसी के बाद पुण्य काल शुरू होगा। साथ ही इसी दिन खरमास खत्म होगा और शुभ काम शुरू होंगे।

पहले 12 व 13 जनवरी को मनाई जाती थी संक्रांति

डॉ. आदित्य पांडेय कहते हैं कि वेंकटेश्वर व शताब्दी पंचांग के मुताबिक, 14 जनवरी को मकर संक्रांति पहली बार 1902 में मनाई गई थी। 18वीं शताब्दी में 12 और 13 जनवरी को मनाई जाती थी। 1664 में संक्रांति पहली बार 15 जनवरी को मनाई गई थी। इसके बाद हर तीसरे साल अधिकमास होने से दूसरे व तीसरे साल 14 को, चौथे साल 15 जनवरी को संक्रांति होने लगी। हालांकि तारीख तय होने के बावजूद दो दिन पर्व पड़ने से लोगों में काफी असमंजस रहा है बीते वर्षों में।

इसी के बाद शुरू होंगे विवाह कार्य

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग में सहायक आचार्य डॉ. अश्विनी पांडेय के मुताबिक, इस दिन खिचड़ी खाने व खिलाने का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन से देवताओं का दिन और राक्षसों की रात्रि प्रारंभ होती है। जो उत्तरायण कहलाती है, इसमें विवाह आदि शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।



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