रायबरेली। फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के मामले में एटीएस और सलोन पुलिस मास्टरमाइंड रविकेश समेत 18 आरोपियों को जेल भेज चुकी है। इन लोगों ने चार लाख फर्जी जन्म प्रमाणपत्र व पांच हजार मृत्यु प्रमाणपत्र बनाए हैं। इस प्रकरण में प्रदेश के कई ग्राम विकास अधिकारियों (वीडीओ) व जन सुविधा केंद्र संचालकों के भी शामिल होने की आशंका है। ऐसे में एटीएस फर्जीवाड़े में संलिप्त वीडीओ समेत अन्य की तलाश कर रही है।

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सलोन के फर्जी प्रमाण पत्रों के मामले में एटीएस और उसकी ऑप्स टीमें प्रदेश के साथ देश के कई राज्यों में छापा मार रही हैं। खासकर बिहार, पूर्वी यूपी और कर्नाटक तथा केरल में पड़ताल चल रही है। जिस तरह सलोन के आरोपी वीडीओ विजय सिंह की लॉगिन आईडी प्रदेश के साथ अन्य राज्यों में खोली गई, उससे जांच टीमें प्रदेश के कई जिलों के वीडीओ की लॉगिन आईडी का पता लगा रही है।

उसके साथ ही जन सुविधा केंद्रों का भी पूरा सिजरा तैयार हो रहा है। सूत्र बताते हैं कि रविकेश ने पूछताछ में बताया कि इस खेल में सबसे आसान तरीका जन सुविधा केंद्र से पूरे नेटवर्क को चलाना था। इसके लिए व्हाटसएप ग्रुप बनाए गए और जन सुविधा केंद्र संचालकों को जोड़ा गया।

एक बड़े नेटवर्क के जरिए चार लाख से अधिक प्रमाण पत्र पांच राज्यों में बनाए गए। जन सुविधा केंद्रों से ही फर्जी प्रमाणपत्र बने और उसमें सरकारी विभाग की कमजोर कड़ियों की हिस्सेदारी रही। यही कारण कि एटीएस की टीमें अब ग्राम विकास अधिकारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। कुछ जिलों को हिट लिस्ट में रखा है। यह वह जिले हैं जो बिहार, रायबरेली, नेपाल से जुड़े हुए हैं।

कई जन सुविधा केंद्र संचालक गायब

सलोन में जन सुविधा केंद्र संचालक जीशान की गिरफ्तारी के बाद कई केंद्र संचालक गायब हैं। अधिकतर केंद्रों के ताले काफी समय से नहीं खुल रहे हैं।

आरोपियों की संपत्तियों की भी होगी जांच

19 हजार 426 जन्म प्रमाण पत्रों के फर्जीवाड़ा में जन सुविधा केंद्र संचालक जीशान और वीडीओ विजय बहादुर की संपत्ति की जांच भी होगी। सूत्र बताते हैं कि जीशान जमीन की खरीद फरोख्त का काम भी करता था। जिसके जरिए उसने अकूत संपत्ति बनाई। जांच टीम इसकी भी जांच कर रही है कि जीशान ने जमीन की खरीद फरोख्त किसके साथ की।



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