इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ”उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025” की सांविधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर यूपी सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने सुनवाई के लिए अगली तिथि 30 जुलाई, 2025 को तय की है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने प्रनव गोस्वामी और अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका में सिविल जज जूनियर डिवीजन मथुरा को प्रतिवादी बनाया गया है।

याची की ओर से बांके बिहारी मंदिर अध्यादेश को याचिका में चुनौती दी गई है। यह अध्यादेश मंदिर के लिए सरकार-नियंत्रित ट्रस्ट बनाने का प्रावधान करता है। सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) संजय गोस्वामी ने दलील दी कि बांके बिहारी मंदिर एक निजी संस्थान है जिसका प्रबंधन स्वामी हरिदास जी के वंशज करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश पिछले दरवाजे से मंदिर पर नियंत्रण करने का प्रयास है।

गोस्वामी ने अध्यादेश के माध्यम से बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के गठन पर आपत्ति जताई। उन्होंने सात पदेन ट्रस्टियों में मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और नगर आयुक्त को शामिल करने पर सवाल उठाया। कहा कि सरकार की ओर से इन अधिकारियों की नियुक्ति निजी मंदिर में राज्य सरकार का पिछले दरवाजे से प्रवेश है। यह राज्य सरकार की ओर से हिंदुओं के अधिकारों पर अतिक्रमण है।

हाईकोर्ट ने एमिकस क्यूरी की दलीलों को सुनने के बाद माना कि ये गंभीर मुद्दे हैं जिन पर विचार करना जरूरी है। हाईकोर्ट ने एमिकस क्यूरी की ओर से उठाए गए सवाल पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।



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