Medical fraud: Now you will not be able to deal for MD-MS seats in the final counselling, you will be banned

MBBS SEAT IN UP
– फोटो : सोशल मीडिया

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प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में अंतिम काउंसिलिंग (स्ट्रे राउंड) के जरिए डॉक्टर ऑफ मेडिसिन (एमडी) और मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) कोर्स में दाखिले की सौदेबाजी पर शिकंजा कसने की नई रणनीति अपनाई गई है। अब अंतिम काउंसिलिंग में सीट आवंटन के बाद सीट छोड़ने वाले की जमानत राशि जब्त करने के साथ ही उन्हें एक साल के लिए एमडी-एमएस में दाखिला लेने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। प्रदेश में पिछसे साल स्ट्रे राउंड के जरिए एमडी- एमएस में दाखिला लेने वाले 81 छात्रों को वर्ष 2024-25 के लिए प्रतिबंधित किया गया है। इनकी सूची भी सार्वजनिक कर दी गई है।

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प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में नीट यूजी और नीट पीजी के जरिए दाखिला होता है। दो राउंट की काउंसिलिंग के बाद बची हुई सीटों पर स्ट्रे राउंड काउंसिलिंग होती है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों का कहना है कि स्ट्रे राउंड के जरिए सीटों में खेल होने की शिकायतें मिलती रही हैं। स्ट्रे राउंड काउंसिलिंग के लिए मेरिट के जरिए एक सीट पर 10 छात्रों का चयन किया जाता है। पहले नंबर वाले छात्र ने सीट छोड़ी तो दूसरे नंबर के छात्र को मौका मिलता है। यही वजह है कि दूसरे और तीसरे स्थान पर पहुंचने वाले तमाम छात्र धनबल के जरिए पहले स्थान वाले छात्र को रास्ते से हटाने की रणनीति अपनाते हैं और खुद सीट हासिल करते रहे हैं। 

एक अधिकारी ने तो यहां तक दावा किया कि तमाम मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर, अस्पताल संचालक और प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अपने परिजनों को पीजी में दाखिले के लिए यही हथकंडा अपनाते रहे हैं, लेकिन अब इस खेल पर पाबंदी लगा दी गई है। क्योंकि जो डॉक्टर सीट छोड़ेगा, उसे एक साल के लिए प्रतिबंध झेलना पड़ेगा। अगले साल तक प्रवेश परीक्षा के कोर्स में भी तमाम बदलाव हो जाते हैं। ऐसे में उसका पूरा कॅरियर दांव पर लगेगा तो वह सीट नहीं छोड़ेगा।

अब क्या होगा

शासनादेश के तहत यदि कोई अभ्यार्थी स्ट्रे वैकेंसी राउंड से सीट आवंटित कराता है तो उसकी धरोहर राशि जब्त करने के साथ ही उसे नीट पीजी की काउंसिलिंग से ही प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। वर्ष 2023-24 में दाखिला लेने वाले 81 छात्रों को वर्ष 2024-25 की काउंसिलिंग से प्रतिबंधित कर दिया गया है। धरोहर राशि सरकारी कॉलेज में 30 हजार और निजी कॉलेज में दो लाख रुपये है। यह राशि भी जब्त कर ली गई है।

शक गहराने की वजह

चिकित्सा विश्वविद्यलाय के एक प्रोफेसर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि स्ट्रे राउंड में जिन अभ्यार्थियों को प्रतिबंधित किया गया है, उनमें केजीएमयू जैसा संस्थान भी है। जहां पीजी में दाखिले के लिए छात्र लालायित रहते हैं। दूसरी खास बात यह है कि रेडियोडायग्नोसिस, पीडियाट्रिक, माइक्रोबायोलॉजी जैसे विषय सरकारी और निजी में काफी मुश्किल से मिलते हैं। जिन 81 छात्रों की सूची जारी हुई है, उसमें इन विषयों में भी छात्रों ने सीटें छोड़ी हैं। इन विषयों के लिए छात्रों को कई साल कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

इन कॉलेजों के छात्रों ने सीटें छोड़ी

जिन 81 छात्रों ने एमडी- एमएस की सीटें छोड़ी हैं, उनमें 15 सरकारी कॉलेज हैं। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान संस्थान सैफई के छह छात्र हैं। इसमें पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉज और एनेस्थिसिया के एक-एक एवं एनोटॉमी के तीन है। केजीएमयू लखनऊ के तीन छात्रों में दो आप्थोलॉजी और पैथोलॉजी एवं एनोटॉमी के एक-एक छात्र हैं। बांदा में फोरेंसिक मेडिसिन, जालौन में एनोटॉमी, प्रयागराज में फोरेंसिक मेडिसिन, आगरा में पैथोलॉजी, गोरखपुर में एनोटामी के एक -एक छात्र हैं। विषयवार विवरण देखा जाए तो निजी कॉलेज के रेडियोडाग्नोसिस के दो, आप्थोलॉजी के चार, पैथोलॉजी के पैथोलॉजी के आठ और माइक्रोबायोजाली के चार, पीडियाट्रिक और मेडिसिन के तीन-तीन छात्र हैं।

एक तर्क यह भी

काउंसिलिंग से जुड़े एक अधिकारी ने यह भी तर्क दिया कि कुछ डॉक्टर दूसरे राज्यों के कॉलेजों में भी दाखिला लेने का प्रयास करते हैं। संभव है कि उन्हें दूसरे राज्य के मेडिकल कॉलेज में मनचाही सीट मिल गई हो, ऐसे में उत्तर प्रदेश से सीटें छोड़ दी।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

एमडी- एमएस की सीटें अति महत्वपूर्ण होती हैं। प्रवेश प्रक्रिया में कोई दुरुपयोग न करने पाए। जो भी डॉक्टर एमडी- एमएस करना चाहते हैं, वे वंचित न रह जाएं, ऐसे में कड़े कदम उठाए गए हैं। चिकित्सा शिक्षा को बढ़ावा देने और सुधार की प्रक्रिया निरंतर चल रही है। नई व्यवस्था में जमानत राशि भी जब्त होगी और सीट छोड़ने की कीमत पर संबंधित छात्र को एक साल तक दाखिले के लिए प्रतिबंधित किया जा रहा है। ऐसे में अब सीट आवंटित होने के बाद खाली नहीं रह पाएगी।– ब्रजेश पाठक, उप मुख्यमंत्री



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