आगरा। फव्वारा स्थित वरदान मेडिकल एजेंसी से जब्त दवाएं पांच नामी कंपनियों की हैं। ये बिना बिल के तीन राज्यों से मंगवाई गई थीं। औषधि विभाग ने इन कंपनियों को नोटिस देकर दवाओं की पुष्टि करने को कहा है। कंपनियों से पूछा है कि ये दवाएं आपके यहां निर्मित हैं या नहीं। मनाही की रिपोर्ट आने पर संचालक के खिलाफ नकली दवा मामले में भी केस दर्ज होगा। सरकारी दवा मामले में भी संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा।
सहायक आयुक्त औषधि अतुल उपाध्याय ने बताया कि वरदान मेडिकल एजेंसी की तीन दिन तक जांच में 23 तरह की दवाएं बिना बिल के मिलीं। पांच दवाओं के रिकाॅर्ड मिलान करने पर भंडारण में अंतर मिला था। ये दवाएं मधुमेह, उच्च क्तचाप, खून बढ़ाने, पेट रोग समेत अन्य मर्ज की दवाएं थीं। पूछताछ में संचालक ने इन दवाओं को देहरादून, भोपाल, ग्वालियर और दिल्ली से मंगवाने की बात बताई। इनकी कीमत 8 लाख रुपये से अधिक है। ये पांच नामी कंपनियों की दवाएं हैं। इनके बैच नंबर समेत अन्य की जानकारी संबंधित कंपनी को भेजी है। इनसे पूछा है कि ये दवाएं कंपनी में निर्मित हुई हैं, अगर हुई हैं तो किस डीलर को बेची गईं। इसके आधार आगे की जांच की जाएगी।
अगर कंपनियां ये दवाएं अपने यहां निर्मित नहीं बताती हैं तो तो संचालक अंकुर अग्रवाल के खिलाफ नकली दवा मामले का भी केस दर्ज होगा। इनके यहां से कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) अस्पताल की दवाएं भी बरामद हुई थीं। ये एंटीबायोटिक की 1300 टैबलेट थीं। पूछताछ में संचालक ने इनको ग्वालियर से हॉकर से मंगवाने की बात कही। इस मामले में भी संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। ईएसआई की दवाओं की रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है।
