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मिल्कीपुर उपचुनाव परिणाम। – फोटो : अमर उजाला।
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मिल्कीपुर के चुनावी महासमर में भाजपा का जातिवार मतों को सहेजने का प्रयोग सफलतम रहा। मुख्यमंत्री की सजाई पिच पर उनके मंत्रियों समेत कई धुरंधरों ने धमाकेदार पारी खेली और पहली बार उपचुनाव में कमल खिलाया। उधर, सपा अपने मूल मतों के अलावा कुछ खास करिश्मा नहीं दिखा सकी।
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लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव को प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था। किसी भी हालत में इस सीट पर भगवा लहराने के लिए उन्होंने मजबूत प्लान तैयार किया। प्रभारी मंत्री सूर्यप्रताप शाही, सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर, आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, राज्यमंत्री सतीश शर्मा आदि की ड्यूटी लगाई। साथ ही अलग-अलग जाति के मतों को साधने के लिए जातिवार बड़े नेता उतारे गए। क्षत्रिय मतों को साधने के लिए पूर्व सांसद लल्लू सिंह ने मोर्चा संभाला। राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह मैदान में रहे। मुख्यमंत्री के अलावा डिप्टी सीएम केशव मौर्या व ब्रजेश पाठक की सभाएं हुईं। अलग-अलग जातियों का सम्मेलन भी हुआ।
निर्णायक भूमिका में रहे ब्राह्मण मतों के बिखराव को रोकने व भाजपा के पक्ष में लामबंद करने के लिए पूर्व विधायक इंद्रप्रताप तिवारी को मैदान में उतारा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में उनसे विशेष मुलाकात कर निर्देश दिया। इस चुनाव परिणाम के बेहतर होने पर उनकी बेहतरी का भी आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री की उम्मीदों पर खरा उतरते हुए उन्होंने ताबड़तोड़ जनसंपर्क, सभाएं, रैलियां आदि करके ब्राह्मणों को लामबंद किया। इसका नतीजा रहा कि पूर्व के चुनावों में ब्राह्मण बाहुल्य गांवों में भी वोटों में सेंध लगाने वाली सपा को इस बार लगभग हर इलाके में हार का मुंह देखना पड़ा। इससे पूर्व विधायक ने ब्राह्मणों में अपनी मजबूत पैठ का एहसास कराते हुए खुद के बेहतरी के बारे में सोचने पर भी विवश किया है।