Milkipur by-election: SP confined to traditional votes.

– फोटो : amar ujala

विस्तार


पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक के बुलंद नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरी सपा सिर्फ परंपरागत मतों के इर्द-गिर्द ही सिमट गई। यहां तक कि दलितों का भरोसा जीतने में भी वह कामयाब नहीं रही। इस चुनाव में बढ़त बनाना तो दूर पिछले चुनावों में मिले जनाधार को थामने में भी असफल दिखी।

Trending Videos

मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर लगभग 70,000 यादव और 35,000 मुस्लिम मतदाता हैं। लगभग एक लाख दलित मतों में मजबूत बंटवारे व सवर्ण मतों में सेंध लगाने के ख्वाब देखते हुए सपा चुनाव मैदान में कूदी। पूरे चुनाव भर हर बिरादरी के मत हासिल करने का सपा नेता व पदाधिकारी दंभ भरते रहे, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव व 2024 के लोकसभा चुनाव में मिला जनमत भी वह नहीं थाम सके। सपा प्रत्याशी को 84,687 वोट मिले, जो कि 2022 के चुनाव से 19,218 वोट कम रहे। वहीं, लोकसभा चुनाव में भी लगभग 7,000 मतों से सपा ने जीत दर्ज की थी।

इस चुनाव परिणाम को देखकर साफ है कि सपा मूल मतों के अलावा अन्य जातियों का भरोसा नहीं जीत सकी है। पासी समाज की देश भर में ब्रांडिंग करने वाले सांसद भी सजातीय मतों को अपनी तरफ लामबंद भी नहीं कर सके। जबकि वह पासी समेत अन्य दलित मतों को बटोरने का दावा कर रहे थे।

गुल नहीं खिला सकी ब्राह्मण नेताओं की फौज

ब्राह्मण मतों में सेंध लगाने के लिए सपा ने भी ब्राह्मण नेताओं की फौज उतारी। पूर्व मंत्री तेज नारायण पांडेय पूरे समय जनसंपर्क में जुटे रहे। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, प्रदेश महासचिव व पूर्व विधायक जयशंकर पांडेय, पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी आदि नेताओं ने जनसंपर्क किया, लेकिन ब्राह्मण मतदाता टस से मस नहीं हुए। वहीं, क्षत्रिय मतों को साधने के लिए सुल्तानपुर के पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिंह सोनू भी लगातार जनसंपर्क करते रहे, लेकिन कोई करिश्मा नहीं दिखा सके।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *