Milkipur by-election: The key to winning the seat is in the hands of these two castes, victory and defeat bec

मिल्कीपुर उपचुनाव।
– फोटो : अमर उजाला।

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मिल्कीपुर विधानसभा सीट के लिए हो रहे उपचुनाव में यों तो भाजपा और सपा के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। सपा के बागी व आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के सूरज चौधरी व कांग्रेस के बागी भोलानाथ भारती इसे बहुकोणीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। चुनाव में दलित व ब्राह्मण वोट निर्णायक भूमिका में हैं। जो दल इन दोनों जातियों को साधने में सफल रहेगा उसके सिर जीत का सेहरा बंधेगा। इसी वजह से दोनों दलों के क्षत्रपों ने पूरे इलाके को मथ दिया है।

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अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद फैजाबाद संसदीय सीट पर भाजपा की हार की वजह से यह चुनाव काफी महत्वपूर्ण हो गया है। पूरे देश की नजर दिल्ली विधानसभा के साथ हो रहे इस एकमात्र सीट के उपचुनाव पर टिकी हुई है। आरक्षित सीट होने की वजह से सभी दलों से दलित समुदाय के लोग ही चुनाव मैदान में हैं। भाजपा और सपा दोनों ही पासी बिरादरी से प्रत्याशी के बलबूते चुनाव मैदान में हैं। दोनों पार्टियों ने विधायकों तथा रणनीतिकारों की फौज उतार रखी है। सभी अपने अपने तरीके से मतदाताओं को भुनाने में जुटे हुए हैं। ब्राह्मण मतदाताओं को साधने के लिए भाजपा ने पूर्व विधायक खब्बू तिवारी और सपा ने पूर्व मंत्री पवन पांडेय व अन्य को लगा रखा है। खब्बू लगातार इलाके में सक्रियता बनाए हुए हैं। भाजपा के चंद्रभानु व सपा के अजित प्रसाद दोनों ही युवा हैं। दोनों इलाके में लंबे समय से सक्रिय रहे हैं। यदि 2002 से पिछले पांच विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो तीन बार सपा और भाजपा व बसपा एक-एक बार जीत दर्ज करने में सफल रही है।



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