Milkipur by-election: The strategy of keeping Hindus united was successful, instead of PDA, the slogan of ban

मिल्कीपुर उपचुनाव।
– फोटो : अमर उजाला।

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मिल्कीपुर का सियासी रण जीतने में भाजपा की रणनीति तो काम आई ही। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की हिंदुओं को एकजुट करने की नीति ने भी बढ़त दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई। संघ परिवार के साथ ही अखिल विद्यार्थी परिषद, विश्व हिंदू परिषद समेत सभी वैचारिक संगठनों ने मिल्कीपुर उपचुनाव को जिताने में कोर कसर नहीं छोड़ी। भाजपा के साथ इन संगठनों ने भी पीडीए के फार्मूले का भ्रम तोड़ने के लिए जमीन पर काम किया।

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सूत्रों की माने तो कुंदरकी और कटेहरी जैसा विषम जातीय समीकरण वाला चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने संघ परिवार के सुझाव पर मिल्कीपुर के लिए रणनीति बदलकर तैयारी शुरू की थी। दरअसल, कुंदरकी और कटेहरी सीट पर तीन दशक बाद कमल खिलने के बाद पार्टी और संघ ने जीत के कारणों की पड़ताल शुरू की।

संघ ने पड़ताल के बाद निचोड़ निकाला कि सीएम योगी आदित्यनाथ के ”बंटोगे तो कटोगे” के नारे का विभिन्न जातियों में बंटे हिंदुओं पर बड़ा असर पड़ रहा है। नारे का ही असर रहा कि कटेहरी और कुंदरकी में भी तीन दशक बाद कमल चटख रंग के साथ खिला। संघ ने इसी आधार पर भाजपा के साथ मिलकर मिल्कीपुर का रण जीतने की रणनीति बनाई। इसके तहत संघ कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर हिंदू एकता पर जोर दिया। इस अभियान ने बाजी पलटने में बड़ी भूमिका निभाई है।



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