मिर्जापुर जागीर,(जालौन): सिंध नदी में आई भीषण बाढ़ ने ग्राम मिर्जापुर जागीर के निवासियों का जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। गांव के सभी रास्ते पानी में डूब गए हैं, जिससे ग्रामीण बाहरी दुनिया से कट गए हैं। दैनिक उपयोग की सामग्री की किल्लत ने ग्रामीणों की परेशानी और बढ़ा दी है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि इस गंभीर स्थिति के बावजूद, अभी तक किसी भी नेता या प्रशासनिक अधिकारी ने गांव से संपर्क नहीं साधा है, जिससे ग्रामीणों में गहरा रोष व्याप्त है।
गांव के एक निवासी ने बताया, “हमारा गांव पूरी तरह से घिर गया है। न हम बाहर जा सकते हैं और न ही कोई अंदर आ सकता है। दूध, सब्जी, और राशन जैसी मूलभूत चीजें मिलना मुश्किल हो गया है। ऐसा लगता है जैसे हमें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है।”
मूलभूत सुविधाओं का अभाव और ग्रामीणों की मांगें
मिर्जापुर जागीर के ग्रामीणों ने लंबे समय से चली आ रही कुछ मूलभूत समस्याओं पर भी प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है, जिनकी कमी अब इस बाढ़ की स्थिति में और भी विकट हो गई है।
1. पक्की सड़क का अभाव: ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि गांव से मुख्य सड़क तक 2 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क का निर्माण किया जाए। कच्ची सड़क होने के कारण बारिश और बाढ़ के दौरान यह पूरी तरह से अनुपयोगी हो जाती है, जिससे आवागमन ठप हो जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि यह सड़क पक्की होती तो शायद आज उन्हें इतनी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
2. स्टीमर की व्यवस्था: सिंध नदी पर आवागमन के लिए गांव में एक स्थायी स्टीमर की व्यवस्था की मांग भी उठाई गई है। ग्रामीणों का कहना है कि जब कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार पड़ता है, तो उसे नदी पार कराकर अस्पताल ले जाना असंभव हो जाता है। एक स्टीमर की उपलब्धता से आपातकालीन स्थिति में बीमार लोगों को समय पर चिकित्सा सहायता मिल पाएगी और वे सुरक्षित रूप से नदी पार कर सकेंगे।
ग्रामीणों ने प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे जल्द से जल्द गांव की सुध लें, राहत सामग्री पहुंचाएं और भविष्य के लिए इन मूलभूत सुविधाओं – पक्की सड़क और स्टीमर – का प्रावधान करें ताकि बाढ़ जैसी आपदाओं में उन्हें इस तरह की दुर्दशा का सामना न करना पड़े। यदि प्रशासन द्वारा जल्द कोई कदम नहीं उठाया जाता है, तो ग्रामीणों ने बड़े स्तर पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
