Monuments of riverfront collapsing now closed in files for seven years plan was made after CM Yogi's announcem

जोहरा बाग
– फोटो : अमर उजाला

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आगरा में मुगल बादशाह बाबर की बेटी जेहरा के नाम पर बने जोहरा बाग का बुर्ज ढह जाने से 500 साल पुरानी अनूठी विरासत को सहेजने की मांग फिर से उठ गई है। ताजमहल से रामबाग तक मुगल काल के रिवरफ्रंट को सहेजने के लिए सात साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अक्तूबर 2017 में घोषणा की थी, लेकिन रिवरफ्रंट फाइलों में ही दबा है। अब यमुना किनारे की धरोहरें ही ढहने लगी हैं। जोहरा बाग की तरह 10 और स्मारकों के ढह जाने और अस्तित्व मिट जाने का खतरा मंडरा रहा है।

सात साल पहले जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा आए तो ताजमहल के पीछे देखते हुए उन्होंने यमुना किनारे दोनों ओर रामबाग तक रिवरफ्रंट गार्डन बनाने की योजना के निर्देश दिए। साबरमती की तर्ज पर आगरा रिवरफ्रंट के लिए आर्किटेक्ट आशीष श्रीवास्तव से योजना भी बनवाई गई, लेकिन फाइलों में ही यह दफन हो गई।

103.2 एकड़ में बनाया जाना था रिवरफ्रंट

इसमें ताज से रामबाग तक यमुना किनारे की 103.2 एकड़ जमीन पर यमुना 45 से 75 मीटर चौड़ाई में रिवर फ्रंट विकसित किया जाना था। इससे यमुना किनारे के स्मारकों तक पर्यटकों की पहुंच हो जाती और ढहने के कगार पर पहुंच रहे स्मारकों का संरक्षण भी होता। नजूल की जमीन पर यहां नर्सरी चल रही हैं, जहां से स्मारकों तक पहुंचने का रास्ता भी नहीं बचा।

कभी 48 थे रिवरफ्रंट गार्डन

जयपुर में रखे मुगलकाल के नक्शे में आगरा किले के पास यमुना नदी के किनारे 48 हवेलियों का जिक्र है। इन्हीं हवेलियों को आस्टि्रयाई इतिहासकार ईवा कोच ने रिवरफ्रंट गार्डन के नाम से अपनी पुस्तक में प्रकाशित किया है। उन्हाेंने बुलंद बाग से महताब बाग और खान ए दौर्रान से जफर खां की हवेली तक हर बाग के इतिहास का ब्योरा दिया है।

इसी बाग में अपनी बहन से मिला औरंगजेब

ईवा कोच की पुस्तक के मुताबिक जेहरा बाग बाबर की बेटी का नहीं था, बल्कि यह शाहजहां की बेटी जहांआरा ने बनवाया था। शाहजहां ने इस बाग में मई 1638 में ईरानी राजदूत यादगार बेग का स्वागत किया था। उनके साथ सैर की और शाम को मंडप के नीचे यमुना तट पर रोशनी और आतिशबाजी कराई। राजकुमार के रूप में औरंगजेब वर्ष 1652 में अपनी बहन जहांआरा से मिलने इसी बागीचे में आए थे, जब वह ताजमहल की स्थिति का निरीक्षण करने रुके थे। ताज के संरक्षण की पहली रिपोर्ट उसी वर्ष की है।

वर्ष 1835 तक रामबाग से बेहतर था जोहरा बाग

जहांआरा ने मेहराबों के साथ यहां छतरी को जोड़ा था। 19 वीं सदी में इसे बुर्ज ए सैयद के नाम से जाना गया। वर्ष 1835 में अंग्रेज यात्री फैनी पार्क्स ने बाग को सैयद बाग के नाम से बताया और कहा कि नदी किनारे लाल बलुआ पत्थर के मंडप के साथ यह ””राम बाग (नूर अफशान बाग) से कहीं बेहतर था। जोहरा बाग के ढह जाने के साथ इससे सटे बुलंद बाग, 32 खंभा, खान ए दौर्रान, सराय, खान ए आलम का संरक्षण न होने पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

इन्हें बचाने की जरूरत

पुरातत्वविद केके मुहम्मद ने बताया कि  बाबर से लेकर शाहजहां तक के काल में यमुना नदी के किनारे बनाए गए भवन बेहतरीन आर्किटेक्चर का नमूना है। इन्हें बचाने की जरूरत है। अलग अलग काल की वास्तुकला और नदी किनारे के भवनों का निर्माण, ऐसा अनूठा संगम किसी अन्य जगह नहीं है। इसे कैसे भी करके सहेजें

सहायकों से रिपोर्ट मांगी

अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि जोहरा बाग के गिर जाने के बाद संरक्षण सहायकों से रिपोर्ट मांगी गई है कि किन स्मारकों में तत्काल काम की जरूरत है। इमारत को नुकसान न पहुंचे, पहले वह काम कराए जाएंगे। जोहरा बाग पर मरम्मत का काम जल्द शुरू कराया जाएगा।



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