सट्टा किंग के नाम से मशहूर रहे जुल्फिकार अली उर्फ बिट्टू की हत्या के मामले में सोमवार को एडीजे-11 छाया शर्मा की अदालत ने फैसला सुनाया। अदालत ने हिस्ट्रीशीटर साबिर कालिया, उसके पिता और बेटे समेत चार मुलजिमों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है जबकि चारों पर 27-27 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। 

इस घटना को मझोला क्षेत्र में आजाद नगर गुलफाम मस्जिद के पास सट्टे के धंधे को लेकर नौ अक्तूबर 2014 की सुबह करीब साढ़े चार बजे बिट्टू की हत्या कर दी गई थी। कटघर के करबला दस सराय निवासी जुल्फिकार अली उर्फ बिट्टू के बेटे इस्तेकार ने दर्ज कराई प्राथमिकी में बताया कि वह अपने पिता और रिश्तेदार तनवीर के साथ आजाद नगर गुलफाम मस्जिद के पास अपने कारखाने गया था।

इस्तेकार और तनवीर कारखाने का गेट खोलने लगे जबकि जुल्फिकार अली उर्फ बिट्टू बाहर सड़क पर खड़ा होकर सिगरेट पीने लगा था। इसी दौरान वहां बारादरी निवासी अजीम, उसका भाई अय्यूब, कटघर के करबला गली नंबर पांच निवासी कालिया साबिर, उसका बेटा शाकिर, पिता मिट्ठन, मझोला के लाइनपार निवासी चंचल गुप्ता और उपदेश गुप्ता आ गए और उन्होंने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई।

जिसमें उसके पिता बिट्टू घायल हो गए थे। दिल्ली में इलाज के दौरान बिट्टू की मौत हो गई थी। इस मामले में विवेचना के बाद पुलिस ने अजीम, कालिया साबिर, शाकिर, मिट्टन और भोजपुर के कोरबाकू निवासी रिजवान उर्फ इरफान के खिलाफ हत्या में चार्जशीट दाखिल की थी जबकि चंचल, उपदेश और अय्यूब के नाम विवेचना में निकाल दिया गया था।

इस केस की सुनवाई एडीजे-11 छाया शर्मा की अदालत में चली। अजीम के लगातार गैरहाजिर होने के कारण उसकी फाइल दूसरी कोर्ट में भेज दी गई थी। अदालत ने दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद हिस्ट्रीशीटर साबिर कालिया, उसके पिता मिट्ठन, बेटे शाकिर और रिजवान को दोषी करार दिया।



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