{“_id”:”67b07a18b959c88f7209326a”,”slug”:”moradabad-troubled-by-rats-municipal-corporation-had-to-issue-tender-to-eliminate-them-2025-02-15″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”यह महानगर हुआ चूहों से परेशान: नगर निगम को खात्मे के लिए जारी करना पड़ा टेंडर, तीन महीने में सभी का काम तमाम”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
मुरादाबाद में बढ़ी चूहों की संख्या – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
मुरादाबाद की सार्वजनिक संपत्तियों के साथ-साथ लोगों के घरों में घुसकर संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे चूहों की शामत आने वाली है। नगर निगम ने इनका काम तमाम करने का जिम्मा केंद्रीय भंडारण निगम को दिया है। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चूहों के खात्मे का काम सबसे पहले वार्ड-41 में होगा।
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परिणाम और शहर के लोगों का फीडबैक बेहतर मिला तो यह व्यवस्था शहर के सभी 70 वार्डों में लागू की जाएगी। शहर के विभिन्न पार्कों, नाले, नालियों, कूड़े से भरे खाली पड़े स्थानों, सब्जी, फल मंडियों, कब्रिस्तानों व उनके आसपास रहने वाले लोगों के घरों में चूहों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
इनके बिल बनाने के कारण पार्कों में बनाई गई पटरियां जहां बैठ रहीं हैं वहीं नाले, नालियों के पास इनके बिल बनाने से वह क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। जिसके कारण नालियों का पानी इधर उधर बहता रहता है। आसपास के घरों व दुकानों में भी यह चूहे नुकसान पहुंचाते रहते हैं। विभिन्न सरकारी कार्यालयों में रखीं फाइलों के लिए भी यह खतरा बने रहते हैं।
घरों में भी चूहों लोगों के सामान को नुकसान पहुंचा रहे हैं। चूहों की यह हरकत कई बार नगर निगम बोर्ड की बैठक में भी उठ चुकी है। रोकथाम न होने के कारण इनकी संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। जिसका संज्ञान लेते हुए नगर आयुक्त ने शहर के लोगों को चूहों के आतंक से भी निजात दिलाने की पहल शुरू की है।
पहले चरण में शहर के मध्य स्थित वार्ड-41 को इसके लिए पायलट प्रोटेक्ट के रूप में चुना गया है। इस वार्ड से चूहों का सफाया करने के लिए केंद्रीय भंडारण निगम लखनऊ को इसका तीन माह के समय का टेंडर दिया गया है। इस कार्य पर नगर निगम तीन लाख रुपये खर्च करेगा। टीम ने अपना काम भी शुरू कर दिया है।
ऐसे कर रहे चूहों का काम तमाम
चूहों के सक्रिय स्थानों पर उनके बिल में अथवा उसके आसपास आटा, बेसन व केमिकल से तैयार गोली को रख दी जाती है। चूहे उसे खाकर प्यास लगने पर बिल से बाहर आ जाते हैं और कुछ देर में उनकी माैत हो जाती है। अगले दिन टीम के सदस्य उन स्थानों से मरे चूहों को उठाकर मैनाठेर स्थित पशु दाहगृह ले जाते हैं।
चूहों से नुकसान का मुद्दा कई बार सदन की बैठक में भी उठ चुका है। इसका संज्ञान लेते हुए इस पर नियंत्रण का निर्णय लिया गया है। इसका प्रयोग फिलहाल शहर के एक वार्ड में किया जा रहा है। परिणाम बेहतर मिले और संबंधित वार्ड के लोगों का कार्य के प्रति बेहतर फीडबैक मिला तो इसे शहर के अन्य वार्डों में भी लागू किया जाएगा। – दिनेश चंद्र सचान, मुख्य अभियंता निर्माण, नगर निगम