उरई। यमुना की बाढ़ पिछले वर्षों के सभी रिकॉर्ड तोड़ने के करीब है। शुक्रवार दोपहर बाद इसका जलस्तर 111.95 मीटर दर्ज किया गया। यह लाल (खतरे) निशान 108 मीटर से 3.95 मीटर ऊपर है। रामपुरा, कुठौंद, कालपी और कदौरा ब्लॉकों के 90 से ज्यादा गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। अब तक 2,000 से ज्यादा लोग अपने घरों को खाली कर चुके हैं। इनमें से कुछ लोग सरकारी राहत शिविरों में तो कई ऊंचे टीलों पर तिरपाल डालकर किसी तरह जीवन काट रहे हैं। करीब 50 से ज्यादा कच्चे घर बाढ़ में पूरी तरह से जमींदोज चुके हैं। हजारों लोगों का गृहस्थी, फसलें और व्यापार तबाह हो गया है।60 से ज्यादा गांवों की बिजली सप्लाई पूरी तरह से प्रभावित है।
पांच किलो आटा, दो किलो आलू नाकाफी
उरई। माधौगढ़ के कूसेपुरा, मिर्जापुर और टिकरी जैसे कई गांवों में पानी इस कदर भर गया है कि पूरा गांव खाली हो चुका है। मिर्जापुर गांव चारों तरफ से जलमग्न हो चुका है, जहां तक अब प्रशासन भी नहीं पहुंच पाया है। कूसेपुरा के ग्रामीणों ने बताया कि तीन दिन से बिजली पूरी तरह बंद है।
ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन ने अब तक 55 से 60 गांवों में राहत के नाम पर कुछ किलो राशन पहुंचाया है। बाढ़ की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि किशनपुरा, गुढ़ा, निनावली, बेरा, पुरा महटौली जैसे गांवों में राशन के नाम पर पांच किलो आटा और दो किलो आलू भेजे गए, जबकि इन गांवों की आबादी सैकड़ों में है। कई गांवों में अभी तक कोई सरकारी टीम नहीं पहुंची है, न राशन, न दवा, न राहत।
यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है और अभी भी तेजी से बढ़ रहा है, वहीं बेतवा का जलस्तर धीरे-धीरे कम हो रहा है। इससे बेतवा किनारे के गांवों के लोगों ने थोड़ी राहत की सांस ली है। पहूज और सिंध नदियां अपने उफान पर हैं और कई गांवों में सड़क किनारे की मिट्टी और बांध के किनारे तक कटने लगे हैं।
कुठौंद के यमुना किनारे बसे गांवों में यमुना नदी के जलस्तर में आई तेजी से बाढ़ का पानी गांवों की ओर बढ़ने लगा है। इससे टिकरी, बिजुआपुर, भदेख, हिनोंली सहित आधा दर्जन गांवों के लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं। कई परिवारों ने खेतों में बने टीलों, सरकारी भवनों और ऊंची जगहों पर अस्थायी रूप से शरण ली है। (संवाद)
गुलौली-सुरौली में डूबे कई घर, नहीं पहुंचे जिम्मेदार
उरई। कदौरा ब्लॉक के ग्राम गुलौली, सुरौली, दीवारा और आसपास के दर्जनों डेरों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। अब तक कोई जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा, न ही किसी भी प्रकार की राहत या मदद भेजी गई है। ग्रामवासियों नंदू वर्मा, शिवभजन यादव, भूरा वर्मा, छोटे वर्मा, इंजमाम खान, हाजी मुन्ना खान, वली उल्ला, मजीद खान, याकूब खान, शिया चरण, संतोष लोहार, फूल सिंह यादव, अमर सिंह यादव, मुतिया वर्मा, कलीम शेख, अंतराम वर्मा, गुड्डू खान, नुबुबत खान समेत कई लोगों के घर-दुआर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं। गांव में स्थित बिजली ट्रांसफार्मर डूब चुका है। (संवाद)
36 गांव प्रभावित, कई का टूटा संपर्क
कालपी। तहसीलदार अभिनव तिवारी के अनुसार कदौरा और महेवा तहसील के 36 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें से शेखपुर बुल्दा, पड़री, रायढ़ दीवारा और इकौना गांव पूरी तरह पानी से घिरे हैं। उरकरा कला, देवकली, हीरापुर, मैनूपुर, गुढा खास और शेखपुर गुढा का सड़क संपर्क टूट चुका है। उप जिलाधिकारी मनोज कुमार सिंह ने बताया कि इन गांवों में नाव और मोटरबोट से आवागमन की व्यवस्था की गई है। जिन घरों में पानी भर गया है, वहां के लोग सुरक्षित स्थानों पर भेजे गए हैं।देवकली, गुढा खास, दहेलखंड, गुलौली, मगरौल और उरकरा कला जैसे गांवों में घरों तक पानी पहुंचने के कारण लोग नाव और पैदल सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करते दिखे। (संवाद)
शहर के मोहल्लों में भी घुसा पानी
कालपी। बाढ़ का असर केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित नहीं है। नगर के तरीबुल्दा, कांशीराम कॉलोनी, रामगंज और पचपिंडा देवी रोड समेत इलाहाबाद बैंक के पास बस्ती में भी घरों में पानी भर गया है। कई लोगों को ऊपरी मंजिल पर शरण लेनी पड़ी है, जबकि कुछ ने अपने मकान खाली कर दिए हैं। टरननगंज से पचपिंडा देवी रोड तक का रास्ता पूरी तरह बंद हो चुका है।
2022 में 112.80 पर पहुंचा था यमुना का जलस्तर
2022 में यमुना का जलस्तर 112.80 मीटर दर्ज हुआ था। इससे पहले 1996 में यह आंकड़ा 112.98 मीटर तक पहुंचा था, जो अब तक का सबसे अधिक दर्ज जलस्तर है। शुक्रवार शाम 4 बजे तक जलस्तर 111.95 मीटर पर पहुंच गया है। केंद्रीय जल आयोग के प्रभारी रूपेश कुमार के अनुसार, यमुना इस समय चार से पांच सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से बढ़ रही है। अभी और बढ़ने की उम्मीद है।
बीमार लड़की के लिए मोटरबोट बनी जीवनरक्षक
कालपी। ग्राम देवकली की 17 वर्षीय लाली जो गंभीर रूप से बीमार हो गई थी, उसे गांव के डॉक्टर से दिखाने के बाद भी कोई लाभ नहीं मिला। जब हालत बिगड़ी तो ग्राम प्रधान बाल सिंह ने प्रशासन की मोटरबोट का इंतजाम कर लाली को कालपी सीएचसी में भर्ती कराया, जहां उसका इलाज चल रहा है। ग्राम प्रधान उमाशंकर (हीरापुर), राजभोज (गुढा खास), बाल सिंह (देवकली), पवनदीप (किरतपुर), और शिवदास श्रीवास (उरकरा कला) ने बताया कि अब तक उनके गांवों में कोई राहत सामग्री नहीं पहुंची है। (संवाद)
स्कूल और घरों में भरा पानी
सिरसा कलार। यमुना का जलस्तर बढ़ने से लोहाई दिवारा, जीतामऊ और आसपास के गांवों में बाढ़ का पानी लोगों के घरों और खेतों में घुस चुका है। लोहाई दिवारा गांव के नीचे हिस्से में बसे करीब नौ घरों में पानी भर गया है। प्राथमिक विद्यालय के चारों ओर पानी भरने से स्कूल बंद हो गया। एसडीएम जालौन विनय मौर्य ने लोहाई व टिकरी गांव का निरीक्षण किया। जीतामऊ गांव में लोग गलियों में नाव से आना-जाना करने को मजबूर हैं। यहां 20 घरों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। ग्रामीणों ने अपना सामान पंचायत भवन और स्वास्थ्य केंद्र में रख दिया। ग्राम प्रधान कमलकांत राजपूत ने बताया कि जानवरों को भी ऊंचाई वाले स्थानों पर बांधा गया है। नून नदी में बाढ़ का पानी आने से नियामतपुर और सिरसा कलार फीडर से जुड़े 60 गांवों में पिछले 24 घंटे से बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है। हाईटेंशन लाइन के दो पोल गोरा कला के पास जलस्तर बढ़ने के चलते पानी में डूब गए हैं। बिजली विभाग कालपी के उपखंड अधिकारी आदर्श राज ने बताया कि गोरा कला के पास पानी का स्तर अधिक होने से खंभे और तारों तक पानी पहुंच गया है। एहतियातन आपूर्ति बंद की गई है। (संवाद)
कूसेपुरा पूरी तरह खाली, मिर्जापुरा चारों ओर से घिरा
रामपुरा। पहूज और सिंध नदियों के जलस्तर में लगातार बढ़ रहा है कूसेपुरा गांव पूरी तरह से खाली हो गया है। ग्रामीण ऊंचे टीलों पर झुग्गियां बनाकर जान बचाए हुए हैं। क्षेत्रीय विधायक मूलचंद्र निरंजन ने शुक्रवार को एसडीएम वेदप्रिय सिंह के साथ बाढ़ प्रभावित गांवों निनावली, किशनपुरा, गुढ़ा, बेरा, पुरा महटौली आदि गांव का दौरा और किशनपुरा गांव में 55 पैकेट राशन सामग्री का वितरण किया।
जनप्रतिनिधियों ने मोहब्बतपुरा, कर्रा जैसे गांवों में अपने स्तर पर खाना भिजवाकर सहयोग किया है। डिकौली जागीर, जिसकी आबादी लगभग 1000 है, वहां पांच किलो आटा और दो किलो आलू भेजकर पूरे गांव के भोजन की खानापूरी की जा रही है।
कूसेपुरा, मिर्जापुर, बिल्हौड़, जखेता और हुकुमपुरा जैसे गांवों में अब तक न तो कोई सरकारी अधिकारी पहुंचा है और न ही राशन सामग्री या राहत का कोई इंतजाम किया गया है। मिर्जापुरा के ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रामशंकर पाल ने बताया कि गांव चारों तरफ से पानी से घिर चुका है, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई सुध नहीं ली। बाढ़ के चलते इन इलाकों में तीन दिन से बिजली बंद है। रामपुरा नगर पंचायत अध्यक्ष गायत्री वर्मा क्षेत्र में आई बाढ़ के चलते दो दिन से लंच पैकेट बनवाकर गांवों में पीड़ितों को बंटवा रही हैं। (संवाद)
तीन गांवों में गिरे कई कच्चे मकान, गृहस्थी का सामान दबा
मुहम्मदाबाद। बारिश से डकोर ब्लॉक के कई गांवों में कच्चे मकान भरभराकर गिर गए। गांव निवासी रहूप खान का कच्चा मकान पूरी तरह से गिर गया है। राहत की बात यह रही कि हादसे के समय परिवार के सदस्य बाल-बाल बच गए, लेकिन मकान के अंदर रखा सारा घरेलू सामान दबकर नष्ट हो गया। करीब एक लाख का नुकसान हुआ। गांव की ही शहीदन का कच्चा मकान भी बारिश की वजह से गिर चुका है। करीब 50 हजार रुपये का नुकसान हुआ है। मकरेछा गांव निवासी हर नारायण यादव का कच्चा मकान भी बारिश में पूरी तरह गिर गया है। उनकी पत्नी नीलम मलबे में दबे सामान को निकालती नजर आई। कुसमिलिया गांव में भी पिछले सप्ताह आधे दर्जन मकान गिरे थे, वहां भी अब तक किसी तरह की राहत नहीं पहुंची। (संवाद)