Morna विधानसभा सीट के उपचुनाव ने जनपद में सियासी माहौल को गरमा दिया है। खासकर रालोद और भाजपा गठबंधन द्वारा प्रत्याशी के रूप में पूर्व विधायक श्रीमती मिथलेश पाल को मैदान में उतारने के साथ ही राजनीतिक माहौल में तेजी से बदलाव आने लगे हैं। ऐसे में गठबंधन की ओर से चुनावी कार्यालय के उद्घाटन के अवसर पर कई बड़े नेताओं की मौजूदगी ने इस चुनाव को और भी चर्चा में ला दिया है।
गठबंधन का प्रत्याशी चुनने में रस्साकशी
Morna उपचुनाव पर नजर डालें तो मीरापुर सीट पर उपचुनाव के लिए टिकट की होड़ ने इसे दिलचस्प बना दिया है। सांसद चंदन चौहान की जीत के बाद से ही इस सीट पर उपचुनाव की संभावना बन गई थी और टिकट पाने के लिए दावेदारों के बीच जोर आजमाइश भी जारी थी। यह उपचुनाव महज एक स्थानीय मुद्दा नहीं, बल्कि रालोद और भाजपा गठबंधन के लिए भी एक प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है।
रालोद प्रमुख जयंत चौधरी द्वारा पूर्व विधायक श्रीमती मिथलेश पाल को प्रत्याशी के रूप में नामित करने के बाद गठबंधन प्रत्याशी की घोषणा औपचारिक रूप से की गई। मिथलेश पाल का नाम आने के बाद से ही चुनाव प्रचार में तेजी आ गई है और कार्यकर्ताओं में जोश का संचार हो गया है।
मिथलेश पाल के कार्यालय का उद्घाटन: चुनावी प्रचार का आगाज
Morna में गठबंधन प्रत्याशी मिथलेश पाल के चुनावी कार्यालय का भव्य उद्घाटन हुआ, जिसमें केंद्रीय और क्षेत्रीय नेताओं की उपस्थिति से माहौल काफी जोशीला हो गया। इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान, पूर्व सांसद श्रीमती अनुराधा चौधरी, सांसद चंदन चौहान, रालोद जिलाध्यक्ष संदीप मलिक, पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह, पूर्व विधायक विक्रम सैनी और कई अन्य प्रमुख नेता मौजूद थे।
सभी नेताओं ने कार्यकर्ताओं से चुनावी मैदान में पूरी तैयारी के साथ उतरने का आह्वान किया और गठबंधन के पक्ष में अधिक से अधिक जनसमर्थन जुटाने की अपील की। इस अवसर पर नेताओं ने बताया कि आगामी उपचुनाव केवल सीट का सवाल नहीं है, बल्कि क्षेत्र की भावी दिशा तय करेगा।
चुनावी रण में रणनीतियों की चर्चा
चुनाव का माहौल गरमाते ही रणनीतियों पर चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। इस उपचुनाव में रालोद और भाजपा गठबंधन का मुख्य फोकस किसानों, युवा और महिलाओं को लुभाने पर है। मिथलेश पाल को बतौर प्रत्याशी चुनने के पीछे प्रमुख कारण उनकी जमीनी पकड़ और क्षेत्र में जनता के बीच उनकी छवि है।
मोरना के ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्यों का प्रचार-प्रसार करना, युवा मतदाताओं को आकर्षित करना और महिलाओं के लिए रोजगार व सुरक्षा के मुद्दों पर फोकस करने की योजना बनाई जा रही है। इसके अलावा, क्षेत्र में किसान आंदोलन के बाद से किसानों के बीच बढ़ी असंतोष की भावना को ध्यान में रखते हुए, गठबंधन किसानों के लिए नई योजनाएं और लाभकारी नीतियों का प्रचार कर रहा है।
चुनावी कार्यालय का उद्घाटन: गठबंधन के नेताओं की उपस्थिति
इस चुनावी कार्यालय के उद्घाटन में कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे, जिन्होंने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया और उन्हें मतदाताओं के बीच गठबंधन के संदेश को फैलाने का निर्देश दिया। पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने इस मौके पर कहा कि यह चुनाव राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनाएगा और क्षेत्रीय विकास की दिशा को और मजबूत करेगा। वहीं पूर्व सांसद श्रीमती अनुराधा चौधरी ने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि वे हर एक गली-मोहल्ले तक पहुंचें और गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाएं।
उपस्थित नेताओं में से सांसद चंदन चौहान, पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह, पूर्व विधायक विक्रम सैनी, पूर्व सांसद राजपाल सैनी, अमित राठी, सतनाम बंजारा, दिनेश सैनी, रामकुमार शर्मा, संजय राठी, डॉ. वीरपाल सहरावत, अजय कृष्ण शास्त्री, रालोद नेता प्रभात तोमर और कई अन्य नेता भी शामिल थे। सभी नेताओं ने एक स्वर में कहा कि यह चुनाव क्षेत्र में न केवल राजनीतिक बदलाव लाएगा, बल्कि जन-समस्याओं को भी प्राथमिकता देगा।
विकास का मुद्दा और गठबंधन का दांव
गठबंधन का यह चुनाव प्रचार ग्रामीण विकास, बुनियादी ढांचे के निर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर आधारित है। रालोद और भाजपा गठबंधन इन मुद्दों को अपने प्रमुख एजेंडे के रूप में प्रचारित कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस बार का चुनावी मुद्दा सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि विकास और बदलाव की उम्मीद से भरा है।
विपक्ष पर निशाना साधते हुए कसे तंज
चुनावी कार्यालय के उद्घाटन के मौके पर नेताओं ने विपक्ष पर भी जमकर हमला बोला। पूर्व सांसद अनुराधा चौधरी ने विपक्षी दलों पर विकास में अड़चन डालने का आरोप लगाया और कहा कि उनके पास न तो विकास का कोई ठोस एजेंडा है और न ही जनता के हित में कोई नीति। वहीं, रालोद जिलाध्यक्ष संदीप मलिक ने कहा कि जनता अब जागरूक हो गई है और वह जानती है कि क्षेत्र के विकास के लिए कौन सही है।
मिथलेश पाल का अनुभव और जमीनी पकड़: गठबंधन का मजबूत आधार
मिथलेश पाल की जमीनी पकड़ और राजनीतिक अनुभव को ध्यान में रखते हुए गठबंधन ने उन्हें प्रत्याशी बनाया है। पूर्व में विधायक रह चुकीं मिथलेश पाल की कार्यशैली, जनता के बीच उनकी लोकप्रियता और उनके द्वारा किए गए विकास कार्यों को गठबंधन ने अपने प्रचार का केंद्र बनाया है।
मिथलेश पाल ने कहा, “मेरा उद्देश्य केवल चुनाव जीतना नहीं है, बल्कि क्षेत्र की जनता के सपनों को साकार करना है। मैं जनता के हितों की लड़ाई में कभी पीछे नहीं हटूंगी और उनकी हर समस्या का समाधान करने का प्रयास करूंगी।”
आगामी उपचुनाव: संभावनाएं और चुनौतियां
यह उपचुनाव न केवल रालोद और भाजपा गठबंधन के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। विभिन्न जातीय समीकरणों और क्षेत्रीय मुद्दों के साथ ही इस चुनाव में संभावनाएं और चुनौतियां दोनों मौजूद हैं। मिथलेश पाल का चुनाव में खड़ा होना इस बात का संकेत है कि गठबंधन हर तरह से चुनाव जीतने के लिए प्रतिबद्ध है।
गठबंधन को इस बात का भरोसा है कि जनता उनके विकास कार्यों को देखते हुए उन्हें समर्थन देगी। लेकिन दूसरी ओर, विपक्ष भी कमज़ोर नहीं है और वे भी अपनी रणनीतियों के साथ मैदान में उतर चुके हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी चुनाव में कौन बाज़ी मारता है।