mother was treating someone else child in private hospital considering it as her own in jhansi

दूसरे के बच्चे को अपना समझा अस्पताल में करा रही थी इलाज
– फोटो : अमर उजाला

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महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा केंद्र (एसएनसीयू) में अग्निकांड की घटना के बाद लक्ष्मी तीन दिन तक जिस शिशु को अपना समझकर देखभाल कर रही थी। दरअसल वो बच्चा शांति का था, जबकि शांति का पति कृपाराम लगभग 36 घंटे से अपने बच्चे को तलाश रहा था। जांच के बाद दोनों को बच्चे सौंप दिए गए।

मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में शांति पत्नी कृपाराम का शिशु जन्म लेने के बाद सात नवंबर को भर्ती किया गया था। यहीं पर, लक्ष्मी का भी नवजात भर्ती था। शुक्रवार रात जब एसएनसीयू में आग लगी तो भर्ती नवजातों को बचाने के लिए परिजन को शिशु सौंपे जाने लगे। हड़बड़ी और अंधेरे की वजह से कई परिजन को दूसरे का नवजात सौंप दिया गया। इस दौरान शांति का बच्चा लक्ष्मी को दे दिया गया। लक्ष्मी ने नवजात को निजी अस्पताल में भर्ती कर दिया। परिजन नवजात की देखरेख करते रहे।

वहीं, कृपाराम खुद के बच्चे का पता नहीं चलने पर वो परेशान हो गया। पिछले तीन दिन से वो लगातार कभी मेडिकल कॉलेज तो कभी निजी अस्पताल जाकर अपने बच्चे की खोज कर रहा था। जांच में सामने आया कि मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक बच्चे के परिजन का पता नहीं चल रहा है। जबकि कृपाराम के बच्चे की भी जानकारी नहीं हो पा रही है।

कॉलेज में भर्ती नवजात को लगाए गए टैग में मां का नाम लक्ष्मी लिखा हुआ है। जब लक्ष्मी की फाइल पर दर्ज नंबर पर फोन किया गया तो पूरी स्थिति स्पष्ट हो गई। लक्ष्मी ने बताया कि बच्चा तो उसके पास ही है। अफसरों ने कहा कि उसका बच्चा मेडिकल कॉलेज में है। लक्ष्मी बच्चा लेकर कॉलेज आई। फिर दोनों परिजनों को उनका-उनका बच्चा सौंप दिया गया।

36 घंटे बाद कृपाराम ने देखी बच्चे की सूरत

कृपाराम ने बताया कि जब से बच्चा हुआ है, उसके बाद से रविवार को उसकी सूरत देखी है। क्योंकि, जन्म के समय पत्नी के साथ में उसकी बहन भी थीं। वहीं, जरूरत पड़ने पर बच्चे को देखने जाती थी। अग्निकांड के बाद से बच्चे का पता नहीं चलने पर उन्होंने खाना तक नहीं खाया था। अब बच्चे को स्वस्थ देखकर जान में जान आई।



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