Motivational speaker Jaya Kishori said Earn lot of money and spend it otherwise choose renunciation.

जया किशोरी
– फोटो : Amar Ujala

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अध्यात्म को हम बुजुर्गों की चीज समझ लेते हैं, जबकि यह युवाओं के लिए ज्यादा अहम है। यह कहना है मोटिवेशनल स्पीकर और कथावाचक जया किशोरी का। ‘सार्थक जीवन की बात’ सत्र के दौरान उन्होंने जीवन जीने के तरीके बताए। 

जया किशोरी ने कहा, मेरा मानना है कि यदि आप गृहस्थ हैं तो ईमानदारी व मेहनत से खूब पैसा कमाएं और खर्च करें। यदि लगता है कि पैसे में आपकी कोई दिलचस्पी नहीं तो गृहस्थ नहीं वैराग्य चुनें। जया किशोरी ने कहा, धर्म व अध्यात्म हमें जीवन जीने का तरीका सिखाते हैं। इसलिए युवाओं को इससे जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि को-कॅरिकुलर एक्टिविटी में धर्म और अध्यात्म को भी जोड़ा जाना चाहिए। इस दौरान उन्होंने अपने पहले कथा वाचन का अनुभव भी साझा किया। उन्होंने कहा, बचपन से ही मुझे अध्यात्म में रुचि थी।  16-17 साल की उम्र में मैंने तय किया कि इसे कॅरिअर के रूप में लिया जा सकता है। पहली बार मंदिर के हाॅल में कथा कही। उससे कुछ देर पहले तक मैं उसी हाॅल में बच्चों के साथ खेल रही थी। जब कथा कहनी शुरू की, तो लोगों को आश्चर्य हुआ।

जब कुछ भी स्थायी नहीं तो असफलता कैसे स्थायी रहेगी

बच्चों पर परीक्षा के तनाव को लेकर उन्होंने कहा, कई बार इसकी वजह से वे आत्महत्या तक कर लेते हैं। सृष्टि का यही सत्य है कि यहां कुछ भी स्थायी नहीं है। इसलिए असफलता भी स्थायी नहीं है। किसी असफलता पर आज हम दुखी हो रहे हैं, तो कुछ समय बाद हम उसी पर हंसेंगे। आज के युग में मोबाइल समेत तमाम चीजें बच्चों का ध्यान भटकाने वाली हैं। ऐसे में माता-पिता की भी जिम्मेदारी है कि वे उनसे बात करते रहें। उन पर आकांक्षाओं का बोझ न लादें। हर कोई कुछ न कुछ कर लेता है। हमेशा देखा जाता है कि बच्चा जिस विषय में कमजोर होता है उसमें ट्यूशन लगा दिया जाता है। जबकि, जिसमें वह अच्छा है, उसमें उसको और बेहतर बनाने का प्रयास होना चाहिए। जया किशोरी ने कहा, नंबर ही सब कुछ नहीं होता। जीवन में डिग्री नहीं, काम अहम है। इसलिए काम पर ध्यान दें, न कि नंबरों पर। अध्यात्म हमें सिखाता है कि ‘सब कुछ’ जैसा यहां कुछ होता ही नहीं। सच सिर्फ ईश्वर ही है। बाकी सब चीजें बनती-बिगड़ती रहती हैं।



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