अमर उजाला द्वारा आयोजित एमएसएमई संवाद में निर्यात कारोबारियों ने कहा कि एमएसएमई की नीतियां शहरों के कारोबार के मुताबिक बननी चाहिए। मुरादाबाद में हस्तशिल्प और होम डेकोर के कारोबारियों के लिए सुलभ ऋण, जीएसटी रिटर्न, सब्सिडी आदि की व्यवस्था होनी चाहिए।

अमर उजाला कार्यालय में बुधवार को आयोजित संवाद में वरिष्ठ निर्यातक सुरेश गुप्ता ने कहा कि एमएसएमई का दायरा बढ़ने से छोटे कारोबारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी की नीतियों का लाभ माइक्रो और स्मॉल एंटरप्रेन्योर को कम और मीडियम वालों को ज्यादा मिलता है।

माइक्रो और स्मॉल एंटरप्रेन्योर को योजना का लाभ लेने के लिए ज्यादा औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं। मुरादाबाद की बात करें तो नेशनल आइडेंटिफिकेशन कोड में एक्सपोर्ट की कैटेगरी में हैंडीक्राफ्ट का विकल्प ही नहीं है। जबकि, यहां हस्तशिल्प का ही काम होता है।

यस के चेयरमैन जेपी सिंह ने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में अंतर है। यदि कोई छोटा कारोबारी शिपिंग बिल क्लोज कराने जाता है, तो उसे बड़े कारोबारी से ज्यादा शुल्क देना पड़ता है। मुद्रा लोन लेना हो तो ज्यादा औपचारिकताएं पूरी करनी होंगी, फिर छोटे कारोबारियों को लाभ कैसे मिले।

निर्यातक विशाल अग्रवाल ने कहा कि हर क्लस्टर के कारोबारियों की समस्याएं अलग-अलग हैं। सरकार को सभी को एक मंच पर बुलाकर सबके सुझाव लेने चाहिए। इसके बाद हर क्लस्टर के मुताबिक अलग-अलग नीति बनानी चाहिए।

उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए गगन दुग्गल ने कहा कि एमएसएमई के लाभों को दो भागों में बांटा जाना चाहिए। घरेलू कारोबारियों के लिए अलग और विदेशी मुद्रा लाने वालों के लिए नियम अलग होने चाहिए। सात प्रतिशत लाइसेंस और नौ प्रतिशत ड्रॉ बैक सब्सिडी को वापस किया जाना चाहिए।



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