
अंगारों पर चलकर किया मातम।
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या हुसैन… की सदाओं के बीच बच्चे, बूढ़े और नौजवानों ने दहकते अंगारों पर चलकर अजादारों ने हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को पुरसा दिया। कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत के बाद इस्लाम के दुश्मनों ने हुसैनी खेमों में आग लगा दी थी। उसी दर्दनाक मंजर की याद में अंजुमन सोगवार-ए-हुसैन की ओर से शनिवार को आसिफी इमामबाड़े में आग पर मातम का आयोजन किया गया। दहकते अंगारों से गुजरने से पहले शहर की दर्जनों अंजुमनों ने इमामबाड़ा परिसर में या हुसैन… की सदाएं बुलंद कर गश्त किया। हजरत इमाम हुसैन के भतीजे और हजरत इमाम हसन के बेटे हजरत कासिम की याद में रविवार को हुसैनाबाद ट्रस्ट की ओर से मेहंदी का जुलूस निकाला जाएगा। जुलूस रात 9 बजे आसिफी इमामबाड़े से निकलकर छोटे इमामबाड़े जाकर सम्पन्न होगा।
कुर्बानियों को किया याद
शहर में आयोजित शुहदा-ए-इस्लाम और शुहदा-ए-कर्बला के छठवें जलसों में शनिवार को सहाबा इकराम की कुर्बानियों के साथ ही कर्बला के शहीदों को याद किया गया। अकबरी गेट स्थित एक मीनारा मस्जिद में कारी मोहम्मद सिददीक ने कहा कि उम्मत में नबी के अहलेबैत और सहाबा इकराम का रुतबा सबसे बड़ा है और पूरी इंसानियत के लिए हिदायत का जरिया हैं। मीनाई एजुकेशनल एवं वेलफेयर सोसाइटी की ओर से शाहमीना शाह दरगाह पर मौलाना फिरोज ने कहा कि इमाम हुसैन की पूरी जिंदगी एक पैगाम है। रकाबगंज स्थित दारूल मुबल्लिगीन में मौलाना अब्दुस्सलाम ने खिताब किया। ऐशबाग ईदगाह स्थित जामा मस्जिद में मुफ्ती अतीकुर्रहमान ने मुसलमानों से शिक्षा हासिल करने पर जोर दिया।