
मुख्तार अंसारी
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माफिया मुख्तार अंसारी का जेलों में दबदबा कायम रहता था। यूपी से लेकर पंजाब तक उसके इशारे पर जेल के दरवाजे खुल जाते थे। जेल के अफसरों में उसका इतना खौफ था कि वह मुख्तार की करतूतों को रोकने का साहस नहीं जुटा पाते थे। जिसने हिम्मत दिखाई, मुख्तार ने उसके लिए मुश्किलें खड़ी कर दी। कुछ जेल अफसरों ने मुकदमा दर्ज कराया तो कोई गवाही देने को तैयार नहीं हुआ। सरकार बदलने पर मुख्तार पर कानूनी शिकंजा कसा तो जेल अफसरों को धमकाने के मामले में उसे सजा हो सकी। जिस जेल में उसका सिक्का चलता था, वहीं उसकी मौत की वजह भी बन गई।
प्रदेश की गाजीपुर, लखनऊ, आगरा, वाराणसी, बांदा समेत कई जेलों में करीब दो दशक से बंद रहे मुख्तार का साम्राज्य सलाखों के पीछे से भी कभी कमजोर नहीं पड़ा। वर्ष 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद वह खुद अपनी जमानत तुड़वाकर जेल गया था। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन की आहट देख उसने पंजाब की रोपड़ जेल जाने की तिकड़म अपनाई, जिसमें सफल भी रहा। यूपी पुलिस ने कई बार उसे रोपड़ जेल से लाने का प्रयास किया, लेकिन हर बार स्वास्थ्य कारणों से अनुमति नहीं दी गयी। यह भी सामने आया कि रोपड़ जेल में मुख्तार की पत्नी साथ रहती थी। पंजाब सरकार के एक मंत्री और जेल अफसरों से उसकी मिलीभगत के किस्से भी आम हुए थे। इसी वजह से यूपी की विभिन्न अदालतों ने उसे तलब करने के लिए भेजे गए करीब दो दर्जन वारंट तामील नहीं कराए जा सके। इसके बाद सरकार ने सख्त रुख अपनाया और सुप्रीम कोर्ट तक प्रभावी पैरवी करके उसे वापस लाया गया।
पंचायत और दावतों का चलता था दौर
मुख्तार अंसारी की जेल में होने वाली अदालत में पूर्वांचल से लेकर बिहार तक के रेलवे, स्क्रैप, काेयला, रेशम आदि के ठेके-पट्टों का फैसला होता था। मोबाइल का इस्तेमाल करना कोई हैरानी की बात नहीं थी। यह भी चर्चा रही कि वह जेल में तालाब खुदवा कर मछली पलवाता था, जिसकी बाकी बंदियों को दावत दी जाती थी। उसने पूर्वांचल के कई जिलों में गैरकानूनी तरीके से आंध्र प्रदेश से मछली मंगवा कर बेचने का बड़ा कारोबार भी स्थापित कर लिया था। गाजीपुर में सरकारी जमीन पर कब्जा करके वेयरहाउस और होटल बनवाए थे।