Mukhtar Ansari Death Mukhtar interference in railway contracts from Varanasi, Mau and Ghazipur to Gorakhpur

Mukhtar Ansari Death
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


रेलवे हो या फिर बरेका के स्क्रैप का ठेका। सभी में मुख्तार का नाम ही काफी होता था। वर्ष 1990 से 2010 तक मुख्तार ने अपनी एक अलग ही दहशत की रेल दौड़ाई। खौफ इतना था कि पूर्वोत्तर और उत्तर रेलवे में टेंडर मुख्तार के कहने पर ही निकलते और रद्द होते थे।

तय था कि मुख्तार जिसे चाहेगा, वही काम करेगा। उसका वाराणसी, गाजीपुर, मऊ और बलिया से गोरखपुर तक रेलवे के ठेकों में दखल हुआ करता था। चंदासी कोल मंडी से धनबाद तक मुख्तार के इशारे पर रैक उतरते थे। मोबाइल टावर के संचालन में भी एक छत्र मुख्तार ने राज किया। 

पूर्वांचल में ऐसा कोई जिला नहीं बचा था, जिसमें उसके गुर्गे और लोग मोबाइल टावर में तेल भराई के धंधे में न हों। पीडब्ल्यूडी और शराब ठेकों में भी किसी दूसरे को वह पनपने नहीं देता था। पूर्व विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी के बारे में बनारस रेल इंजन कारखाना के एक रिटायर्ड अधिकारी बताते हैं कि वर्ष 2000 के दौरान उनकी तैनाती थी। 

स्क्रैप नीलामी का पूरा कामकाज उनके ही टेबल से हुआ करता था। करोड़ों रुपये के स्क्रैप को हथियाने के लिए लखनऊ, गोरखपुर और वाराणसी के बाहुबलियों की जुटान हुआ करती थी। लेकिन उन सब में मुख्तार का ऐसा वजन था या कह लीजि खौफ, कि स्क्रैप के टेंडर मुख्तार को खुद लोग सरेंडर करके निकल जाते थे। लंबे समय तक स्क्रैप ठेकों में मुख्तार की दहशत कायम थी।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *