Mundhapande toll plaza stamp dispute, Moradabad administration will recover 25 crores from NHAI

टोल प्लाजा (प्रतीकात्मक)
– फोटो : संवाद

विस्तार


मूंढापांडे टोल प्लाजा से जुड़े स्टांप विवाद के मामले में शासन के निर्देश पर डीएम ने दो आपत्तियों का निस्तारण कर दिया है। अब एनएचएआई को ब्याज सहित 25 करोड़ रुपये का भुगतान जिला प्रशासन को करना होगा।

जिला प्रशासन ने बताया कि मुरादाबाद-बरेली हाईवे के निर्माण के लिए 2010 में अनुबंध किया था। इस रोड के निर्माण में 1267 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। उस समय ठेकेदार ने स्टांप ड्यूटी जमा नहीं की थी।

इस मामले में सहायक आयुक्त स्टांप ने 26 फरवरी 2016 को अपनी रिपोर्ट दी थी। फिर भी स्थानीय अधिकारियों ने राजस्व शुल्क वसूल नहीं किया। इस मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब पूर्व डीएम मानवेंद्र सिंह ने स्टांप की फाइलों की जांच शुरू की।

जांच में पता चला कि एनएचएआई ठेकेदार पर स्टांप शुल्क के 25 करोड़ 34 लाख रुपये बकाया हैं। नोटिस देने के बावजूद एनएचएआई के अधिकारी भुगतान के लिए तैयार नहीं थे।

पैसे का भुगतान नहीं किए जाने पर जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए मूंढापांडे स्थित टोल प्लाजा के खाते को फ्रीज कराया। साथ ही टोल प्लाजा की जमीन को कुर्क कर लिया था। इस मामले में एनएचएआई के अधिकारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

हाईकोर्ट के आदेश पर मूंढापांडे स्थित टोल प्लाजा प्रबंधन ने 15 करोड़ रुपये जमा किए। इसके बाद जिला प्रशासन ने खाते और जमीन को मुक्त किया। हाईकोर्ट ने मुरादाबाद डीएम को आपत्तियों का निस्तारण करने के निर्देश दिए।

इस विवाद को लेकर लखनऊ और दिल्ली के अधिकारी सक्रिय हो गए थे। फिर भी बात नहीं बन रही थी।

दो आपत्तियों का किया निस्तारण

डीएम अनुज सिंह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के आधार पर एनएचएआई की दो आपत्तियों का निस्तारण किया गया। शासन ने भी आपत्तियों का निस्तारण करने के लिए मध्य प्रदेश के एक फैसले का हवाला दिया था।

अब एनएचएआई को 16 करोड़ रुपये के साथ स्टांप अधिनियम के तहत ब्याज देना होगा। ब्याज सहित एनएचएआई को 25 करोड़ से अधिक की धनराशि चुकानी होगी। स्टांप से जुड़े अधिकारी इस मामले में ब्याज जोड़ने में जुट गए हैं।



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