बरेली के डेलापीर में नगर निगम के तालाब की जमीन पर कब्जा कर वर्षों पहले बनाए गए 27 मकानों, महेशपुर अटरिया में चार और शाहबाद में स्कूल की जमीन पर बने नौ मकानों पर अब ध्वस्तीकरण की तलवार लटक गई है। अगर कब्जेदारों को कहीं से कोई राहत नहीं मिली तो दिवाली के बाद मकानों पर बुलडोजर चल सकता है। अगर नगर निगम हटाएगा कब्जा तो कब्जेदार से हटाने का भी खर्चा वसूला जाएगा। जब से नगर निगम ने नोटिस दिया है, तब से कार्रवाई को लेकर कई परिवार बेचैन हैं। उनका कहना है कि वह वर्षों से यहां रह रहे हैं। पाई-पाई जोड़कर मकान बनाए हैं। अब नगर निगम मकान खाली करने के लिए कह रहा है।
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मकान पर नगर निगम ने लगाया निशान
– फोटो : अमर उजाला
नगर निगम ने 15 दिन की मोहलत दी
नगर निगम के संपत्ति विभाग ने नौ अक्तूबर को 40 मकानों पर नोटिस तालीम कराए। जिन लोगों ने नोटिस नहीं लिए, उनके मकान के बाहर नोटिस चस्पा किए गए हैं। नोटिस में 15 दिन का मौका दिया गया है। अगर इस अवधि में वे अपना निर्माण नहीं हटाते हैं तो अवैध कब्जा तो हटेगा ही। साथ में अवैध निर्माण को लेकर मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा।
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कई मकानों पर चस्पा किए गए नोटिस
– फोटो : अमर उजाला
त्योहार के बाद हो सकती है कार्रवाई
नगर निगम नोटिस के अनुरूप कार्रवाई करता है तो 25 अक्तूबर यानि त्योहार के बाद कार्रवाई हो सकती है। इसे लेकर इन मकानों में रहने वाले परिवार चिंता में हैं। बचाव का रास्ता तलाश रहे हैं। इन लोगों ने बुधवार को मीडिया से कहा कि वे तो उस जमाने से रह रहे हैं जब लोगों के पास जमीन के कागज नहीं होते थे। उन्हें इस जमीन पर किसी और ने रुपये लेकर बसाया है लेकिन कोई कागज नहीं दिया। निर्माण में जमा पूंजी खत्म हो गई। नोटिस मिलने के बाद एक एक दिन मुश्किल में बीत रहा है।
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नगर निगम का नोटिस दिखातीं महिलाएं
– फोटो : अमर उजाला
डेलीपार निवासी रामबेटी ने बताया कि जब से नगर निगम का नोटिस मिला है, तब से नींद नहीं आई है। कहा गया कि मकान खाली करो। वजह नहीं बताई। वह 45 साल से यहीं रही हैं। पाई-पाई जोड़कर मकान बनाया। ऐसे में हम लोग कहां जाएं। रामवती ने कहा कि उनको भी मकान खाली करने का नोटिस मिला है। 15 दिन का समय दिया गया है। वह 40 साल से यहां रह रही हैं। बच्चे हैं, उन्हें लेकर कहां जाएं।
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मकान पर लगा निशान
– फोटो : अमर उजाला
नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य का कहना है कि सरकारी संपत्ति पर अवैध कब्जे हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का पालन करते हुए कार्रवाई की जा रही है। अगर खुद कब्जा नहीं हटाते हैं तो कब्जेदार से अवैध निर्माण हटाने का भी खर्चा वसूल किया जाएगा।