Muzaffarnagar जिले के खतौली थाना क्षेत्र के गांव चितौड़ा में रविवार रात एक हृदयविदारक हादसा हुआ जिसने पूरे गांव को दहला दिया। 60 वर्षीय बुजुर्ग अनुप सिंह पर एक उग्र और आक्रामक सांड ने जानलेवा हमला कर दिया, जिसमें उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस हादसे ने उस परिवार को फिर से शोक में डुबो दिया, जो चार महीने पहले ही अपने जवान बेटे को एक सड़क दुर्घटना में खो चुका था।
परिवार पर टूटा दूसरा कहर: जवान बेटे के बाद पिता की भी असमय मौत
चितौड़ा गांव निवासी अनुप सिंह पुत्र दल सिंह अपने घर के बाहर रविवार देर रात करीब 11:30 बजे टहल रहे थे। तभी अचानक एक आवारा सांड ने उन पर झपट्टा मारा। हमले में सांड की सींग सीधे उनके पेट में घुस गई, जिससे मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई। इससे पहले कि परिवार के लोग कुछ समझ पाते या मदद के लिए दौड़ते, सब कुछ खत्म हो चुका था।
चार महीने पहले ही अनुप सिंह के बेटे की भी एक दुर्घटना में जान चली गई थी, जो भारतीय सेना में तैनात था। परिवार अभी उस सदमे से उबरा भी नहीं था कि ये दूसरी दुर्घटना टूट पड़ी। पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।
गांव में पसरा मातम, परिजनों ने कानूनी कार्रवाई से किया इनकार
घटना की खबर फैलते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई। हर कोई अपने प्रिय बुजुर्ग के निधन पर स्तब्ध रह गया। परिजनों ने किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से इनकार कर दिया और सोमवार सुबह अत्यंत गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार कर दिया गया। ग्रामीणों का कहना है कि अनुप सिंह बेहद शांत और मिलनसार व्यक्ति थे। बेटे की असामयिक मौत के बाद वे अधिकतर समय घर के बाहर अकेले बैठे रहते थे, गम में डूबे हुए।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा: प्रशासन से आवारा गोवंश हटाने की मांग
घटना के बाद ग्रामीणों में गहरा रोष व्याप्त है। लोगों का कहना है कि गांव में आवारा गोवंश की समस्या लंबे समय से बनी हुई है। कई बार शिकायत करने के बावजूद स्थानीय प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा। गांव की गलियों में बेलगाम घूमते सांडों की वजह से आमजन, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे तक खतरे में हैं।
गांव के एक बुजुर्ग रमेश पाल ने कहा, “ये कोई पहली घटना नहीं है, इससे पहले भी कई बार सांडों ने लोगों को घायल किया है, लेकिन प्रशासन की नींद नहीं खुलती।” ग्रामीणों की मांग है कि गांव से आवारा पशुओं को जल्द से जल्द हटाया जाए और स्थायी समाधान निकाला जाए।
सेना में तैनात बेटे की कहानी: वीरगति से पहले परिवार का सहारा था
अनुप सिंह का बेटा, जो भारतीय सेना में तैनात था, परिवार की उम्मीद और गर्व का कारण था। चार महीने पहले एक भयानक सड़क दुर्घटना में उसकी मौत हो गई थी। उस समय भी गांव में शोक की लहर दौड़ गई थी। बेटे की मौत के बाद से अनुप सिंह पूरी तरह टूट चुके थे।
गांववालों का कहना है कि “जब से बेटे की मौत हुई थी, अनुप सिंह कुछ बदले-बदले से हो गए थे। बहुत कम बोलते थे, ज्यादा वक्त अकेले बिताते थे।” ऐसे में उनकी खुद की असामयिक मौत ने गांव को एक बार फिर सदमे में डाल दिया है।
आवारा सांड बना जानलेवा, जिम्मेदार कौन?
उत्तर प्रदेश के तमाम गांवों की तरह, चितौड़ा गांव भी आवारा सांडों की समस्या से जूझ रहा है। इन सांडों को न तो कोई पकड़ता है, न इनका कोई ठिकाना होता है। प्रशासन और नगर निकायों की लापरवाही का खामियाजा गरीब ग्रामीणों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन तत्काल प्रभाव से सख्त कार्रवाई करे और गांवों में घूम रहे सांडों, बैलों और अन्य गोवंश को पकड़कर गौशालाओं में भेजे।
प्रभारी अधिकारी ने क्या कहा?
हालांकि इस पूरे मामले पर प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द कोई कार्रवाई नहीं हुई तो वे धरना-प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे।
राजनीतिक चुप्पी पर भी सवाल
इतनी दर्दनाक घटना होने के बावजूद स्थानीय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। न तो कोई प्रधान आया, न कोई नेता।
गांव के युवा राहुल ने कहा, “जब वोट चाहिए होते हैं तो नेता घर-घर आते हैं, अब कोई नहीं आया। ये बेहद शर्मनाक है।”
गांव के लिए सबक, प्रशासन के लिए चेतावनी
चितौड़ा की यह घटना सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। अगर अब भी आवारा पशुओं की समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो ऐसे हादसे दोहराते रहेंगे।
इस हृदयविदारक घटना ने मुजफ्फरनगर के ग्रामीण इलाकों की दुर्दशा उजागर कर दी है, जहां प्रशासनिक लापरवाही और आवारा गोवंश की समस्या जानलेवा रूप ले रही है। अब वक्त है कि इस समस्या को प्राथमिकता दी जाए, वरना हर गांव में चितौड़ा जैसी दर्दनाक कहानियां दोहराई जाएंगी।