Muzaffarnagar यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में एक बार फिर धार्मिक विवाद ने तूल पकड़ लिया है। साकेत कॉलोनी की गली नंबर 3 में सड़क के बीचोंबीच बने एक अवैध मजार को लेकर Muzaffarnagar illegal mazaar विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन ने जिला प्रशासन को स्पष्ट शब्दों में चेताया है कि यदि 10 जून तक इस मजार को नहीं हटाया गया तो संगठन स्वयं कॉलोनीवासियों के साथ मिलकर इसे हटाने की कार्यवाही करेगा।
सड़क के बीच अवैध मजार, नागरिकों को भारी परेशानी
स्थानीय लोगों के अनुसार, साकेत कॉलोनी में बनी यह मजार न केवल अवैध है, बल्कि सार्वजनिक आवागमन में भी बाधा उत्पन्न कर रही है। संकरी गली और पहले से ही भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में इस तरह की संरचना ने मोहल्लेवासियों की मुश्किलें दोगुनी कर दी हैं।
लोगों का कहना है कि गली में कोई भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता, बावजूद इसके सरकारी जमीन पर मजार का निर्माण कर दिया गया है। इसके चलते यातायात प्रभावित हो रहा है, और आम जनता को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
संगठन ने दिया ज्ञापन, चेतावनी के साथ जताया रोष
राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के राष्ट्रीय संयोजक संजय अरोड़ा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने सिटी मजिस्ट्रेट पंकज प्रकाश राठौड़ को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में साफ लिखा गया है कि यह मजार पूर्ण रूप से अवैध है और इसे तत्काल हटाया जाना चाहिए।
संजय अरोड़ा ने चेताया, “हम शांति प्रिय लोग हैं, लेकिन अगर 10 जून तक प्रशासन ने इस पर कोई कार्यवाही नहीं की तो हम खुद नागरिकों के साथ इस मजार को हटाने को बाध्य होंगे।”
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
अभी तक जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है। जिससे आम जनता और संगठन के बीच नाराजगी बढ़ती जा रही है। प्रशासन की यह निष्क्रियता कई प्रश्न खड़े कर रही है। क्या प्रशासन किसी दबाव में है? या यह कोई राजनीतिक चाल है?
हिंदू संगठन का खुला ऐलान, “अब नहीं सहेंगे तुष्टिकरण”
ज्ञापन देने पहुंचे हिंदू शक्ति संगठन के प्रमुख सदस्यों ने एक सुर में कहा कि हिंदू समाज अब चुप नहीं बैठेगा। कई वर्षों से मुजफ्फरनगर समेत अन्य शहरों में इस तरह की गतिविधियों को बर्दाश्त किया जाता रहा है। अब संगठन इसे मुद्दा बनाकर प्रशासन से टकराव तक को तैयार है।
ज्ञापन देने वाले प्रमुख सदस्यों में शामिल थे:
संजय अरोड़ा, श्रीमती सरिता शर्मा अरोड़ा, श्रीमती उषा किरण शर्मा, संजय गोस्वामी, राजकुमार गर्ग, संजीव मलिक, श्याम वर्मा, श्रीमती विजयलक्ष्मी (जिला अध्यक्ष – महिला), मंजू राठौर, मोंटी देवी, सुंदर सैनी, राजू, अंकित पाल, राजू पाल, विकास ढींगरा, अनिल मलिक, नवीन त्यागी, संजीव शर्मा, संजीव कंसल एडवोकेट सहित अन्य अनेक हिंदू कार्यकर्ता।
क्या है कानूनी स्थिति ऐसे मामलों में?
विशेषज्ञों के अनुसार, सरकारी भूमि पर कोई भी धार्मिक या निजी निर्माण अवैध माना जाता है। यह मामला भी “अवैध अतिक्रमण की श्रेणी” में आता है, जिस पर प्रशासन को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
यदि इस मजार को अनुमति के बिना बनाया गया है तो यह न केवल नगर नियोजन नियमों का उल्लंघन है, बल्कि धार्मिक सौहार्द को भी खतरे में डाल सकता है।
स्थानीय लोगों का फूटा गुस्सा, कहा – “यह तुष्टिकरण नहीं सहेंगे”
साकेत कॉलोनी के नागरिकों ने कहा कि “हम वर्षों से शांतिपूर्वक रह रहे हैं, लेकिन यह अवैध निर्माण अब असहनीय हो चुका है। प्रशासन केवल एक वर्ग विशेष को खुश करने में लगा है, हम इसका पुरजोर विरोध करेंगे।”
क्या यह राजनीतिक मोड़ ले सकता है मामला?
चुनावों से ठीक पहले यह मुद्दा तूल पकड़ रहा है। कई राजनीतिक दल इस पर अपनी चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह मामला चुनावी बहस का मुख्य केंद्र बन सकता है।
Muzaffarnagar illegal mazaar विवाद न केवल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी परीक्षा ले रहा है।
हिंदू शक्ति संगठन का अगला कदम क्या होगा?
संगठन ने 10 जून की अल्टीमेटम दी है, जिसके बाद आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी। बताया जा रहा है कि यदि कार्यवाही नहीं हुई तो कॉलोनीवासियों के साथ धरना, प्रदर्शन और मजार हटाने की सीधी कार्यवाही की जाएगी।
मुजफ्फरनगर की सियासी सरगर्मी और धार्मिक समीकरण
मुजफ्फरनगर एक संवेदनशील शहर माना जाता है जहां पहले भी धार्मिक दंगों का इतिहास रहा है। ऐसे में इस मुद्दे पर प्रशासन का निष्क्रिय रहना गंभीर परिणाम ला सकता है।
यह मामला अब केवल एक मजार तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह धर्म, कानून, नागरिक अधिकार और राजनीति का संगम बन चुका है।
Muzaffarnagar illegal mazaar विवाद अब प्रशासनिक परीक्षा बन चुका है। क्या जिला प्रशासन निष्पक्ष रहकर जनहित में निर्णय लेगा या यह मामला राजनीति की भेंट चढ़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। जनता की निगाहें अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी हैं।