Muzaffarnagar। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार कदम उठा रही हैं और अब यह अभियान जिले में एक नए उत्साह के साथ आगे बढ़ रहा है। शील बायोटेक कंपनी लिमिटेड, नई दिल्ली के सौजन्य से और कृषि विभाग, मुजफ्फरनगर के सहयोग से जैविक उत्पादों के प्रचार-प्रसार हेतु प्रचार वाहनों को विभिन्न स्थानों पर भेजने का कार्य आरंभ किया गया।
जिलाधिकारी और पंचायत अध्यक्ष ने दिखाई हरी झंडी
इस महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत जिलाधिकारी कार्यालय परिसर से हुई, जहां जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. वीरपाल निर्वाल, जिलाधिकारी उमेश कुमार मिश्रा, मुख्य विकास अधिकारी कमल किशोर कंडाकर, कृषि उप निदेशक संतोष कुमार यादव तथा जिला कृषि अधिकारी राहुल तेवतिया ने संयुक्त रूप से प्रचार वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। नमामि गंगे परियोजना के जिला अधिकारी डॉ. जे. पी. शर्मा एवं सैकड़ों किसानों की उपस्थिति इस मौके को ऐतिहासिक बना गई।
जैविक खेती को लेकर प्रशासन की प्रतिबद्धता
डॉ. वीरपाल निर्वाल ने कहा, “जैविक कृषि को प्रोत्साहन देना हमारी प्राथमिकता है। यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाएगी बल्कि आमजन को शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य सामग्री भी उपलब्ध कराएगी।” उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि जैविक उत्पादों को प्राथमिकता दें और किसानों के इस प्रयास को समर्थन दें।
अधिकारियों ने खुद की जैविक उत्पादों की खरीदारी
उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी उमेश मिश्रा एवं डॉ. निर्वाल ने स्वंय जैविक उत्पादों की खरीद कर अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रेरित किया। जिलाधिकारी ने विशेष रूप से यह संदेश दिया कि “हर सरकारी कर्मचारी, पत्रकार और अधिकारी जैविक उत्पादों का समर्थन कर इस मुहिम को जन आंदोलन में बदल सकते हैं।”
380 किसानों का क्लस्टर, कई गांवों में जैविक खेती का विस्तार
डॉ. जे. पी. शर्मा ने बताया कि तहसील जानसठ के अंतर्गत विकास खंड मोरना के ग्राम मजलिसपुर, महाराज नगर, शुकताल, फिरोजपुर, बहूपुरा, मीरावाला, भुवापुर, बिहारगढ़, इलाहाबास सहित ब्लॉक जानसठ के ग्राम कासमपुर खोला व जीवनपुरी में 380 किसानों का एक क्लस्टर बनाकर जैविक खेती की जा रही है। इन गांवों में किसानों को जैविक कृषि की विधियों में प्रशिक्षित किया गया है और बाजार से सीधे जोड़ने की व्यवस्था भी की जा रही है।
नारी शक्ति की भूमिका भी अहम
कार्यक्रम में जिला प्रभारी नमामि गंगे, श्रीमती पूनम ने भी किसानों को आमंत्रित कर उनकी मेहनत और उत्पादों को पत्रकारों के सामने प्रस्तुत किया। उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे महिलाएं भी इस जैविक खेती की मुहिम में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और परिवार की आय बढ़ाने में सहायक बन रही हैं।
जैविक उत्पादों की विशेषताएं और बाजार में मांग
इन जैविक उत्पादों में अनाज, दालें, फल-सब्जियां जैसे उत्पाद शामिल हैं जो रासायनिक खाद और कीटनाशकों से पूरी तरह मुक्त हैं। बाजार में इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर शहरी क्षेत्रों में, जहां लोग अब स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो चुके हैं। शुकदेव फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी मोरना जैसे प्रयास इस मांग को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
सरकारी योजनाएं और समर्थन
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) और राष्ट्रीय जैविक कृषि मिशन (MOVCDNER) जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के तहत किसानों को बीज, वर्मी कंपोस्ट, जैविक कीटनाशक, प्रशिक्षण और विपणन सहयोग दिया जा रहा है।
जनजागरूकता के लिए प्रचार वाहन बनेंगे गेमचेंजर
जिले में भेजे गए प्रचार वाहन न सिर्फ गांव-गांव जाकर जैविक खेती का महत्व बताएंगे, बल्कि प्रदर्शनियों, नुक्कड़ नाटकों और वीडियो डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से ग्रामीणों को प्रेरित भी करेंगे। ये वाहन किसानों को जैविक उत्पादों के लाभ और विपणन के आधुनिक तरीकों से भी परिचित कराएंगे।
मुजफ्फरनगर में जैविक खेती की यह पहल आने वाले समय में एक मिसाल बन सकती है। प्रशासन, किसान, और जनता के सहयोग से यह जैविक क्रांति न केवल जिले को बल्कि पूरे प्रदेश को एक नई दिशा दे सकती है।