Muzaffarnagar। गांव लखान में महिलाओं का गुस्सा इस कदर भड़क उठा कि उन्होंने शराब ठेके के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। दर्जनों महिलाओं ने एकजुट होकर न सिर्फ धरना-प्रदर्शन किया, बल्कि जिला प्रशासन तक अपनी आवाज़ बुलंद की। बीते कुछ दिनों से यह महिलाएं शराब के ठेके को बंद कराने की मांग कर रही थीं, लेकिन प्रशासन की चुप्पी ने उनकी नाराजगी को और बढ़ा दिया। आखिरकार, नाराज महिलाओं ने खुद ही सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

शराब ठेके के चलते गांव में बढ़ रही समस्याएं

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, इस शराब के ठेके के चलते गांव का माहौल खराब हो गया है। आए दिन शराबियों का हुड़दंग बढ़ रहा है, जिससे महिलाओं और बच्चों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह ठेका न केवल सामाजिक बुराइयों को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि घरेलू हिंसा और अपराधों में भी बढ़ोतरी हो रही है।

गांव की महिला रामतरित पुण्डीर ने कहा, “हम अपने बच्चों को सुरक्षित माहौल देना चाहते हैं, लेकिन यह ठेका गांव के युवाओं को नशे की लत में धकेल रहा है।”

सलेक चन्द ने भी प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा, “अगर हमारी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो हम आंदोलन को और तेज करेंगे।”

महिलाओं का प्रशासन पर दबाव, ज्ञापन सौंपा

धरना प्रदर्शन के बाद महिलाएं जिला मुख्यालय पहुंचीं, जहां उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में महिलाओं ने साफ-साफ कहा कि अगर जल्द से जल्द शराब का ठेका बंद नहीं किया गया, तो वे उग्र प्रदर्शन करने को मजबूर होंगी।

इस विरोध प्रदर्शन में सिर्फ महिलाएं ही नहीं, बल्कि कई पुरुष भी शामिल रहे। ज्ञापन सौंपने वालों में रामतरित पुण्डीर, सलेक चन्द, रघुनाथ सिंह, रामफल सिंह, हरवीर सिंह, विक्की सिंह, जगदीश, दिनेश, संजीव कुमार समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।

गांव में पहले भी उठी थी शराब बंदी की मांग

गांव लखान में यह पहली बार नहीं है जब शराब के ठेके के खिलाफ आवाज़ उठाई गई हो। इससे पहले भी कई बार ग्रामीणों ने इस ठेके को बंद करने की मांग की थी, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

गांव की एक अन्य महिला सुनीता देवी ने कहा, “हर बार हमें आश्वासन दिया जाता है, लेकिन ठेका जस का तस बना रहता है।”

शराब के ठेके से कैसे बिगड़ रहा है माहौल?

  1. घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी – शराब पीने के बाद कई लोग घर जाकर अपने परिवार के साथ दुर्व्यवहार करते हैं।
  2. अपराधों में इज़ाफा – शराब के नशे में धुत्त लोग अक्सर झगड़े, मारपीट और चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं।
  3. युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव – कम उम्र के लड़के भी धीरे-धीरे नशे की चपेट में आ रहे हैं।
  4. सामाजिक अस्थिरता – महिलाओं और बच्चों के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, जिससे गांव का माहौल बिगड़ रहा है।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

ग्रामीणों का कहना है कि यह ठेका किसी रसूखदार व्यक्ति द्वारा चलाया जा रहा है, जिसके चलते प्रशासन कोई सख्त कदम नहीं उठा रहा है। स्थानीय लोगों का मानना है कि अगर प्रशासन ईमानदारी से काम करे, तो इस ठेके को जल्द से जल्द बंद किया जा सकता है।

महिलाओं ने दी चेतावनी, उग्र आंदोलन की तैयारी

ग्रामीणों ने साफ कर दिया है कि अगर जल्द ही ठेके को बंद नहीं किया गया, तो वे बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे। विरोध प्रदर्शन में शामिल एक महिला ने कहा, “अगर प्रशासन ने हमारी बात नहीं सुनी, तो हम गांव में चक्का जाम करेंगे और जरूरत पड़ी तो हाईवे भी ब्लॉक करेंगे।”

सरकार से उम्मीद, कब होगी कार्रवाई?

उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में शराबबंदी को लेकर कई कड़े कदम उठाए हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इनका असर कम ही देखने को मिल रहा है। गांव लखान के लोग अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले पर जल्द कोई सख्त फैसला लेंगे और गांव को शराब के जहर से मुक्त करेंगे।

निष्कर्ष के बजाय बड़ा सवाल – क्या बंद होगा यह ठेका?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है। क्या महिलाओं के इस विरोध प्रदर्शन के बाद ठेका बंद किया जाएगा, या फिर इसे भी अन्य मामलों की तरह नजरअंदाज कर दिया जाएगा? यह सवाल अब भी बना हुआ है और ग्रामीणों की निगाहें सरकार व प्रशासन पर टिकी हुई हैं।



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