Muzaffarnagar के चरथावल ब्लॉक क्षेत्र के गांव कुल्हेड़ी में हाल ही में हुए एक दुखद हादसे ने न केवल एक परिवार को प्रभावित किया, बल्कि पूरे गांव में आक्रोश का माहौल बना दिया। लाइनमैन नफीस राव, जो कि करंट लगने से झुलस गए थे, आज उपचार के दौरान अपनी जान गंवा बैठे। उनकी मौत ने ग्रामीणों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया, जहां उन्होंने मुआवजे की मांग के साथ धरना प्रदर्शन शुरू किया।

हादसे का विवरण

घटना के दिन नफीस राव अपनी ड्यूटी पर थे, जब उन्हें करंट लगा। उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन कई दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। इस हादसे ने उनके परिवार के लिए एक गंभीर संकट खड़ा कर दिया, क्योंकि वे अब आर्थिक रूप से भी असुरक्षित हो गए हैं।

ग्रामीणों का आक्रोश

नफीस की मौत के बाद, गांव के लोगों में गुस्सा और निराशा का माहौल था। उन्होंने तुरंत धरना शुरू कर दिया, यह मांग करते हुए कि प्रशासन उनकी स्थिति को गंभीरता से ले। ग्रामीणों का कहना था कि इस तरह की घटनाएं अक्सर होती हैं और सरकार या बिजली विभाग की ओर से उचित सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है।

राजनीतिक हस्तक्षेप

धरने की सूचना मिलने पर सांसद हरेंद्र मलिक मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि उनकी आवाज को सुना जाएगा और प्रशासनिक मदद उपलब्ध कराई जाएगी। सांसद के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने धरना समाप्त करने का निर्णय लिया। उन्होंने नफीस के परिवार के लिए 7.50 लाख रुपए का मुआवजा और एक संविदा नौकरी देने की घोषणा की, साथ ही 4000 रुपए प्रति माह की आर्थिक सहायता भी प्रदान करने का वादा किया।

प्रशासन की जिम्मेदारी

इस घटना ने प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था और कर्मचारियों के लिए उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता को उजागर किया है। नफीस जैसे कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल सरकार की जिम्मेदारी है, बल्कि यह समाज का भी कर्तव्य है। ऐसे हादसों को रोकने के लिए बिजली विभाग को मैन्युअल और तकनीकी सुधारों की जरूरत है।

पिछले घटनाक्रम और समाज का नजरिया

हाल के वर्षों में मुजफ्फरनगर में इस प्रकार के कई हादसे सामने आए हैं। बिजली की वजह से होने वाले हादसे विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में आम हैं, जहां सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए, पिछले साल भी एक लाइनमैन की मौत करंट लगने से हुई थी, जिसके बाद गांववालों ने सरकार से सुधारों की मांग की थी। लेकिन उन मांगों पर कितनी कार्रवाई हुई, यह एक सवाल है।

राजनीतिक नेताओं की भूमिका

राजनीतिक नेता अक्सर इस प्रकार की घटनाओं के बाद सामने आते हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह केवल एक प्रदर्शन है या क्या वे वास्तव में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सांसद हरेंद्र मलिक ने इस मामले में सक्रियता दिखाई, लेकिन क्या यह स्थायी समाधान की दिशा में एक कदम है या केवल एक तात्कालिक प्रतिक्रिया?

नफीस राव की दुखद मौत एक गंभीर सामाजिक मुद्दे को उजागर करती है। यह केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों की है जो अपने जीवन को जोखिम में डालकर काम करते हैं। हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न हों। राजनीतिक हस्तक्षेप और प्रशासनिक सुधारों के साथ, हम एक सुरक्षित कार्यस्थल और समाज की ओर बढ़ सकते हैं।

इस दुखद घटना से सबक लेते हुए, हमें एकजुट होकर काम करना चाहिए ताकि हमारे समुदाय के सभी सदस्य सुरक्षित रह सकें। केवल तभी हम नफीस राव जैसे शहीदों की श्रद्धांजलि अर्पित कर पाएंगे।



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