Muzaffarnagar। जिले में एक भीषण सड़क हादसे ने दो परिवारों को तबाह कर दिया है। सोमवार की अंधेरी रात ने थाना नई मंडी क्षेत्र के सिसौना रोड स्थित बागोवाली गेट के पास एक ऐसा मंजर देखा, जिसने दो जवान लोगों की जिंदगी के सारे सपने हमेशा के लिए खत्म कर दिए। दो बाइकों की आमने-सामने जोरदार टक्कर में दो युवकों की मौके पर ही मौत हो गई।
पहचान और घटना का विवरण
मृतकों की पहचान गांव बेहड़ा अस्सा, थाना सिखेड़ा के 31 वर्षीय हिमांशु त्यागी (पुत्र नरेश त्यागी) और गांव रंडावली, थाना पुरकाजी के 29 वर्षीय सीटू (पुत्र रिशिपाल) के रूप में हुई है। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, सीटू एक निजी फैक्ट्री में वेल्डिंग का काम करते थे और शाम की ड्यूटी खत्म करके अपने गांव लौट रहे थे। इसी दौरान सिसौना रोड पर यह भयानक हादसा हो गया। दूसरी ओर, हिमांशु त्यागी एक पेस्टिसाइड कंपनी में नौकरी करते थे और अपने परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे।
मौके पर पहुंची पुलिस और एंबुलेंस
घटना की सूचना मिलते ही डायल-112 की पुलिस टीम तत्काल मौके पर पहुंची। उन्होंने एंबुलेंस बुलाकर दोनों युवकों को मुजफ्फरनगर के जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भिजवाया। हालांकि, अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। देखते ही देखते अस्पताल का कोना शोक के सागर में बदल गया।
परिवारों में मचा कोहराम, पोस्टमार्टम से इनकार
मौत की खबर जैसे ही दोनों युवकों के परिवारों तक पहुंची, माहौल पूरी तरह से शोक और हड़कंप में बदल गया। दोनों परिवारों ने गहरे दुख और आक्रोश के माहौल में मृतकों का पोस्टमार्टम कराने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना है कि वे अपने बेटों के शव पर और चीर-फाड़ नहीं होने देना चाहते और बिना किसी देरी के अंतिम संस्कार करना चाहते हैं।
हिमांशु त्यागी: परिवार का एकमात्र सहारा
गांव बेहड़ा अस्सा में हिमांशु त्यागी की मौत ने एक ऐसे परिवार का एकमात्र सहारा छीन लिया है, जिसका वह अकेला कमाने वाला सदस्य था। उनकी अचानक हुई मौत से पूरा गांव स्तब्ध है। ग्राम प्रधान मनोज फौजी ने इस दुर्घटना पर गहरा दुख जताते हुए बताया कि परिवार बेहद दुखी है और वे हिमांशु का पोस्टमार्टम नहीं चाहते। वे उनका अंतिम संस्कार श्रद्धापूर्वक करना चाहते हैं।
सीटू: तीन नन्हें बच्चों के पिता की असमय विदाई
दूसरी तरफ, सीटू की त्रासदी और भी ज्यादा दिल दहला देने वाली है। मात्र 29 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया, जबकि वे अपने पीछे छोड़ गए हैं तीन मासूम बच्चों और एक पूरे परिवार की बड़ी जिम्मेदारी। उनके दोस्त शुभम ने बताया कि सीटू एक मेहनती इंसान थे और अपने परिवार का पालन-पोषण ईमानदारी से कर रहे थे। इस हादसे ने परिवार के साथ-साथ उनके मित्रों के दिलो-दिमाग पर गहरा सदमा लगाया है।
सड़क सुरक्षा पर एक बार फिर उठने लगे सवाल
मुजफ्फरनगर का यह हृदयविदारक हादसा एक बार फिर से सड़क सुरक्षा के मुद्दे को बहुत बड़े सवाल के तौर पर सामने ले आया है। रात के अंधेरे में सही रोशनी का अभाव, अत्यधिक स्पीड, या फिर लापरवाह ड्राइविंग ऐसी कई वजहें हैं, जो हर रोज देशभर में सैकड़ों जानें ले लेती हैं। यह घटना न सिर्फ दो परिवारों के लिए एक बड़ी त्रासदी है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी भी है कि सड़क पर थोड़ी सी भी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
युवाओं की बढ़ती मौतें: एक राष्ट्रीय चिंता
देशभर में सड़क दुर्घटनाओं में युवाओं की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। हर साल हज़ारों की तादाद में युवा ऐसी ही दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं, जिससे न सिर्फ उनके परिवार बर्बाद होते हैं, बल्कि देश की युवा शक्ति को भी एक बड़ा झटका लगता है। हेलमेट न पहनना, गति सीमा का उल्लंघन, और शराब पीकर वाहन चलाना ऐसी प्रमुख वजहें हैं, जिन पर तत्काल अंकुश लगाने की जरूरत है।
कानून और जागरूकता की है जरूरत
इन हादसों को रोकने के लिए सख्त कानून के साथ-साथ जन जागरूकता भी उतनी ही जरूरी है। नागरिकों को खुद भी यह समझना होगा कि सड़क पर वाहन चलाते वक्त उनकी जिम्मेदारी सिर्फ अपनी जान की ही नहीं, बल्कि दूसरों की जान की भी होती है। ट्रैफिक नियमों का पालन करना कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक अनिवार्यता होनी चाहिए।
पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना
इस पूरी घटना में दोनों पीड़ित परिवारों के प्रति पूरे समाज की गहरी संवेदना है। ऐसे मुश्किल वक्त में उन्हें हर संभव सहारे और सहानुभूति की जरूरत है। स्थानीय प्रशासन और समाज के लोगों का यह फर्ज बनता है कि वे इन परिवारों के दुख में उनका साथ दें और उन्हें इस मुश्किल घड़ी से उबरने में मदद करें।
यह दुर्घटना एक कड़वी सच्चाई की तरफ इशारा करती है कि सड़क सुरक्षा के प्रति हमारी लापरवाही किस तरह पल भर में कई जिंदगियां तबाह कर सकती है। हिमांशु और सीटू की मौत न सिर्फ उनके परिवारों, बल्कि पूरे समाज के लिए एक गहरा जख्म है। यह वक्त है सबक लेने का और यह शपथ लेने का कि सड़क पर हर हाल में सतर्कता और जिम्मेदारी बरतेंगे, ताकि ऐसी कोई और त्रासदी न हो। आज एक और दिन है जब दो मांओं के आंचल सूने हो गए, दो परिवारों का सहारा टूट गया, और तीन बच्चों का बचपन अनाथ हो गया। इनकी याद हमें हमेशा सतर्क रहने की प्रेरणा देगी।
