Muzaffarnagar जनपद में आयोजित हुए नसबंदी कैम्प ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब इरादे नेक हों और प्रयास संगठित, तो कोई भी अभियान न केवल सफल होता है बल्कि समाज में नई सोच की लहर भी लाता है। शाहपुर और बुढ़ाना ब्लॉकों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा 16 मई को आयोजित दो दिवसीय नसबंदी कैम्प में कुल 65 लोगों ने स्थायी परिवार नियोजन विकल्प अपनाया — जिनमें 62 महिलाएं और 3 पुरुष शामिल रहे।
🔥 क्या खास रहा इस बार के नसबंदी कैम्प में?
इस बार के नसबंदी कैम्प की सबसे बड़ी खासियत रही—सुचारु व्यवस्था, गोपनीयता का ध्यान और मरीजों की सुविधा के प्रति पूर्ण समर्पण। महिला नसबंदी की जिम्मेदारी अनुभवी डॉक्टर डॉ. शिखा गुप्ता ने निभाई, वहीं पुरुष नसबंदी (वेसेक्टॉमी) की प्रक्रिया को डॉ. चारु ढल ने सफलता पूर्वक संपन्न कराया।
⏱️ एक झलक कैम्प की व्यवस्थाओं पर
स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह सुनिश्चित किया गया कि नसबंदी प्रक्रिया के दौरान किसी भी लाभार्थी को असहज स्थिति का सामना न करना पड़े। OT (ऑपरेशन थियेटर) की व्यवस्था, स्टाफ की तत्परता और समर्पण, तथा बाद-प्रक्रिया देखभाल ने इस अभियान को और भी भरोसेमंद बनाया।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील तेवतिया ने स्वयं इस अभियान की निगरानी की और बताया कि—
🗣️ “हमारा प्रयास यही है कि परिवार नियोजन केवल आंकड़ों तक सीमित न रहे, बल्कि एक मानवीय दृष्टिकोण के साथ इसको लोगों की जिंदगी में उतारा जाए। इस कैम्प की सफलता इसी सोच का परिणाम है।”
💪 अभियान की रीढ़ बनी स्वास्थ्य विभाग की टीम
अभियान में विशेष भूमिका निभाई डॉ. दिव्या वर्मा, जो इस कार्यक्रम की नोडल अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी हैं। उन्होंने कहा—
🗣️ “हमारा लक्ष्य यह है कि हर ब्लॉक में ऐसी मिसाल कायम की जाए जो अन्य जिलों के लिए भी प्रेरणास्रोत बने। डॉ. तेवतिया का मार्गदर्शन और डॉक्टरों की टीम का सामूहिक प्रयास ही इस सफलता की वजह बना है।”
👩⚕️ शाहपुर और बुढ़ाना की चिकित्सा टीम का सराहनीय योगदान
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डॉ. ओ.पी. जयसवाल (प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, शाहपुर)
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डॉ. अर्जुन सिंह (प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, बुढ़ाना)
इन दोनों अधिकारियों ने स्थानीय स्तर पर व्यापक समन्वय किया। विशेष रूप से आशा कार्यकर्ताओं और आशा संगिनियों ने घर-घर जाकर लोगों को नसबंदी की जानकारी दी, भ्रम और मिथकों को तोड़ा, और लोगों को जागरूक किया।
📋 टीम में ये भी रहे सक्रिय:
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स्टाफ नर्स अलका
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वार्ड आया बबिता
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OT अटेंडेंट हारून
सभी ने मिलकर नसबंदी कैम्प को चिकित्सकीय रूप से सुरक्षित, सम्मानजनक और सफल बनाया।
🆓 नसबंदी सेवा रही पूर्णतः निःशुल्क
स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह स्पष्ट किया गया कि नसबंदी सेवाएं पूरी तरह निशुल्क थीं। साथ ही, लाभार्थियों को प्रोत्साहन राशि और बाद की चिकित्सकीय सहायता भी दी गई।
📈 परिवार नियोजन के क्षेत्र में एक नई लहर
परिवार नियोजन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें जागरूकता बढ़ाना और विश्वास बनाना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी नसबंदी को लेकर भ्रांतियां मौजूद हैं। लेकिन ऐसे सफल आयोजनों से यह मानसिकता तेजी से बदल रही है।
🌟 डॉ. दिव्यांक दत्त (जिला परिवार कल्याण एवं लॉजिस्टिक्स प्रबंधक), बुढ़ाना के बीसीपीएम हरविंदर कुमार और शाहपुर के बीसीपीएम रमेश कुमार ने पूरे आयोजन को सुचारु रूप से चलाने में बड़ी भूमिका निभाई।
🗣️ “यह एक मिशन है—सिर्फ चिकित्सा सेवा नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का आंदोलन,” डॉ. दिव्यांक दत्त ने कहा।
🌍 परिवार नियोजन क्यों है आज की सबसे बड़ी जरूरत?
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बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणामों से बचाव
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महिलाओं का स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता
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संसाधनों का बेहतर प्रबंधन
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जीवन गुणवत्ता में सुधार
स्वस्थ समाज की नींव परिवार नियोजन पर ही टिकी है। और जब इस प्रकार के कैम्पों में लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, तो यह बदलाव की शुरुआत मानी जाती है।
🎯 आने वाले समय में और ब्लॉकों में भी इसी तर्ज पर अभियान चलाने की योजना है। अधिकारियों ने बताया कि यह सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि सतत जागरूकता और प्रयास का परिणाम है।
⚡ भविष्य की योजना
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हर ब्लॉक में मासिक नसबंदी कैम्प
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ग्रामीण क्षेत्रों में ASHA नेटवर्क को और मजबूत करना
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महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए जागरूकता कार्यक्रम
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नसबंदी के प्रति डर और मिथकों को हटाने के लिए स्वास्थ्य संवाद
मुज़फ्फरनगर में आयोजित यह नसबंदी कैम्प न सिर्फ चिकित्सा सेवा की मिसाल बना, बल्कि समाज के भीतर एक नयी सोच की बुनियाद भी रख गया। जब सेवा, समर्पण और समझदारी एक साथ चलें—तो हर अभियान सफलता की ऊंचाइयों को छूता है। परिवार नियोजन के क्षेत्र में यह कैम्प अब मिसाल बनकर उभरा है, जिसकी गूंज भविष्य में अन्य जिलों में भी सुनाई देगी।