मुज़फ्फरनगर। (Muzaffarnagar )। उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक जिला मुज़फ्फरनगर एक बार फिर सुर्खियों में है।हिंदू युवा वाहिनी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री प्रह्लाद पाहुजा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर जिले का नाम बदलकर “लक्ष्मीनगर” किए जाने की मांग की है।
इस प्रस्ताव ने स्थानीय और राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया है।


1633 से जुड़ी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि — मुज़फ्फर अली के नाम पर पड़ा नाम

प्रह्लाद पाहुजा ने मुख्यमंत्री को भेजे गए अपने पत्र में उल्लेख किया है कि मुज़फ्फरनगर की स्थापना वर्ष 1633 में मुगल शासक शाहजहां के शासनकाल में उसके अधिकारी मुज़फ्फर अली द्वारा की गई थी।
उसी के नाम पर इस नगर का नाम “मुज़फ्फरनगर” रखा गया।
उन्होंने कहा कि यह नाम विदेशी शासन और आक्रांता काल की मानसिकता का प्रतीक है, जो आज के भारत की सांस्कृतिक भावना के अनुरूप नहीं है।

पाहुजा के अनुसार, “जिला का नाम ऐसा होना चाहिए जो स्थानीय आस्था, परंपरा और भारतीय संस्कृति को दर्शाए। इसलिए इसे ‘लक्ष्मीनगर’ नाम दिया जाना चाहिए, जो समृद्धि और धर्म का प्रतीक है।”


हिंदू युवा वाहिनी की पहल — जनभावनाओं से जुड़ा विषय बताया

प्रह्लाद पाहुजा ने कहा कि यह मांग कोई राजनीतिक नहीं बल्कि जनभावनाओं और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ा मुद्दा है।
उन्होंने दावा किया कि जिले के हजारों लोगों ने वर्षों से यह मांग की है कि “मुज़फ्फरनगर” नाम को बदला जाए।
संगठन का कहना है कि “लक्ष्मीनगर” नाम न केवल धार्मिक दृष्टि से शुभ है बल्कि यह स्थानीय आस्था और देवी लक्ष्मी के प्रति सम्मान को भी प्रकट करता है।


“नाम परिवर्तन केवल प्रतीक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण है”

प्रह्लाद पाहुजा ने अपने पत्र में लिखा,

“यह मांग किसी विरोध की भावना से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण के उद्देश्य से की जा रही है।
विदेशी शासकों द्वारा दिए गए नामों से जुड़ी मानसिकता से हमें मुक्त होना चाहिए और अपने गौरवशाली अतीत को पुनः अपनाना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा कि जैसे इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद का नाम अयोध्या किया गया, उसी प्रकार मुज़फ्फरनगर का नाम लक्ष्मीनगर रखा जाना चाहिए ताकि यह जिला भी अपनी सांस्कृतिक पहचान को पुनः प्राप्त कर सके।


स्थानीय नागरिकों और संगठनों का बढ़ता समर्थन

इस मुद्दे पर शहर के कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने भी समर्थन जताया है।
कई नागरिकों का कहना है कि अगर सरकार यह निर्णय लेती है, तो यह आस्था और गौरव दोनों का संगम होगा।
स्थानीय व्यापारी संघ, शिक्षाविद और युवाओं ने भी इस प्रस्ताव का स्वागत किया है।
शहर के एक समाजसेवी ने कहा —

“लक्ष्मी माता के नाम से जुड़ा यह नाम जिले में नई पहचान और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आएगा।”


राजनीतिक हलचल और प्रशासनिक चर्चा

जिले का नाम बदलने की यह मांग अब प्रशासनिक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है।
अधिकारियों ने बताया कि यदि राज्य सरकार औपचारिक प्रस्ताव स्वीकार करती है, तो यह प्रस्ताव शासन स्तर पर भेजा जाएगा, जिसके बाद राजपत्र अधिसूचना जारी करनी होगी।
पिछले कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में कई ऐतिहासिक नगरों के नाम बदले जा चुके हैं, जिससे यह कदम भी उसी दिशा में एक और अध्याय जोड़ सकता है।


ऐतिहासिक नगर और सांस्कृतिक पहचान की दिशा में कदम

मुज़फ्फरनगर, जिसे “गन्ना नगरी” के नाम से भी जाना जाता है, ऐतिहासिक रूप से व्यापार और कृषि का प्रमुख केंद्र रहा है।
यहां की संस्कृति, लोककला और परंपराएं सदियों पुरानी हैं।
स्थानीय इतिहासकारों का मानना है कि अगर नाम बदला जाता है, तो यह कदम सांस्कृतिक पुनःस्थापना और ऐतिहासिक सम्मान की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय साबित हो सकता है।


हिंदू युवा वाहिनी की भूमिका — जनसमर्थन जुटाने की मुहिम

प्रह्लाद पाहुजा के नेतृत्व में हिंदू युवा वाहिनी अब इस विषय पर जनसंपर्क अभियान शुरू करने जा रही है।
संगठन शहर और ग्रामीण इलाकों में जाकर लोगों से समर्थन पत्र एकत्र करेगा।
यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय तक व्यापक जनसमर्थन के साथ भेजा जाएगा।
वाहिनी का कहना है कि यह आंदोलन किसी दल या धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि अपनी विरासत को सम्मान देने का प्रयास है।


संभावित प्रक्रिया — कैसे बदलता है किसी जिले का नाम

राज्य में किसी जिले या नगर का नाम बदलने की प्रक्रिया कई प्रशासनिक चरणों से गुजरती है।
पहले स्थानीय प्रशासन प्रस्ताव बनाता है, फिर उसे राज्य सरकार की मंजूरी मिलती है।
इसके बाद गृह मंत्रालय से अनुमोदन और अंत में राजपत्र अधिसूचना जारी होती है।
यदि “लक्ष्मीनगर” नाम को मंजूरी मिलती है, तो यह उत्तर प्रदेश का एक और ऐसा जिला होगा जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान के अनुरूप नया नाम प्राप्त करेगा।


जनभावनाओं की लहर — “लक्ष्मीनगर” नाम पर जनता की राय सकारात्मक

शहर में लोगों के बीच यह विषय चर्चा का केंद्र बना हुआ है। कई नागरिकों का कहना है कि “लक्ष्मीनगर” नाम में न केवल धार्मिक अर्थ निहित हैं, बल्कि यह स्थानीय आर्थिक समृद्धि और देवी लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक भी है। लोगों का कहना है कि यह नाम शहर के विकास और आध्यात्मिक माहौल दोनों को नई पहचान देगा।


मुज़फ्फरनगर का नाम बदलकर “लक्ष्मीनगर” करने की मांग अब केवल एक संगठन की आवाज़ नहीं रही, बल्कि यह जनता की भावना बन चुकी है। हिंदू युवा वाहिनी के पत्र ने सरकार के सामने एक बार फिर पहचान और परंपरा के सवाल को ला खड़ा किया है। अब देखना यह होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार इस सांस्कृतिक प्रस्ताव पर क्या रुख अपनाती है। अगर यह मांग पूरी होती है, तो “लक्ष्मीनगर” उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक पुनर्जागरण यात्रा में एक और मील का पत्थर बन सकता है।

 



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