Muzaffarnagar उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में स्थित प्राचीन शिवमंदिर धार्मशाला समिति के पदाधिकारियों ने मंदिर के जिर्णोद्धार (Renovation) कार्य में बाधा डालने का गंभीर आरोप लगाया है। यह मामला अब शहर की सबसे चर्चित खबरों में से एक बन चुका है। समिति का कहना है कि मंदिर का सौंदर्यीकरण और पुनर्निर्माण पूरे क्षेत्र के धार्मिक वातावरण को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है, लेकिन कुछ लोगों द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।


समिति की प्रेसवार्ता – आरोपों की खुली परतें

रुड़की रोड स्थित एक होटल में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान समिति के अध्यक्ष योगेन्द्र कुमार गुप्ता और उपाध्यक्ष संजय सक्सेना ने विस्तार से पूरी घटना बताई। उनका कहना है कि मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए मोहल्ले के लोगों से चंदा एकत्र किया जा रहा है ताकि इस ऐतिहासिक शिव मंदिर को नया स्वरूप मिल सके।

योगेन्द्र गुप्ता ने बताया कि समिति का उद्देश्य मंदिर के साथ-साथ धर्मशाला को भी सुधारना है, ताकि यह गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए और भी अधिक उपयोगी बन सके। उनका आरोप है कि मंदिर के दुकानों में रह रहे कुछ किरायेदार और मंदिर के पुजारी के परिजन इस कार्य में अड़ंगा डाल रहे हैं।


पुजारी परिवार को दिए गए प्रस्ताव और विवाद का बढ़ना

समिति का कहना है कि उन्होंने पुजारी के परिजनों को आश्वासन दिया था कि उनके लिए मंदिर के परिसर में दो कमरे का फ्लैट तैयार कर दिया जाएगा, ताकि उन्हें कोई असुविधा न हो। इसके बावजूद, उनका आरोप है कि पुजारी परिवार ने उनकी बात नहीं मानी और कुछ दिन पहले बाहरी लोगों को बुलाकर हंगामा कर दिया।

संजय सक्सेना ने कहा कि चार दिन पहले हुई इस घटना के दौरान समिति के पदाधिकारियों पर झूठे आरोप लगाए गए, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया। उन्होंने बताया कि इस पूरी घटना की जानकारी संबंधित अधिकारियों को दे दी गई है और अब समिति कानूनी कार्रवाई की मांग कर रही है।


कबाड़ी की दुकान पर भी विवाद – समिति का पक्ष

समिति के सदस्यों ने बताया कि मंदिर के बाहर कबाड़ी की दुकान चला रहे बिट्टू नामक व्यक्ति को दुकान खाली करने के लिए कहा गया, लेकिन यह दुकान मंदिर की संपत्ति से जुड़ी नहीं है। समिति का कहना है कि वे केवल मंदिर परिसर की दुकानों को ही खाली कराने का प्रयास कर रहे हैं ताकि जिर्णोद्धार का कार्य सुचारू रूप से चल सके।


स्थानीय लोगों की प्रतिक्रियाएं और बढ़ती चिंता

मंदिर के आसपास रहने वाले कई स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर का जीर्णोद्धार अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह क्षेत्र की पहचान है। कई लोग चाहते हैं कि यह कार्य जल्द से जल्द पूरा हो ताकि श्रद्धालु बेहतर सुविधाओं के साथ पूजा कर सकें। वहीं, कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि इस विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए ताकि माहौल में तनाव न फैले।


मुजफ्फरनगर का धार्मिक महत्व और शिवमंदिर की ऐतिहासिकता

यह प्राचीन शिवमंदिर मुजफ्फरनगर के धार्मिक महत्व का प्रतीक है। यहां पर हर साल सावन के महीने में हजारों भक्त शिव आराधना के लिए पहुंचते हैं। समिति का कहना है कि मंदिर का जीर्णोद्धार सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मंदिर गरीबों के लिए धर्मशाला भी उपलब्ध कराता है।


समिति की अपील – सहयोग करें, विवाद न बढ़ाएं

समिति ने प्रेसवार्ता के अंत में आम जनता से अपील की है कि वे इस धार्मिक कार्य में सहयोग करें और विवाद पैदा करने वालों पर अंकुश लगाएं। उनका कहना है कि मंदिर का जीर्णोद्धार किसी व्यक्ति या समूह के हित के लिए नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए है।


भविष्य की योजनाएं और प्रशासन से उम्मीदें

समिति ने यह भी बताया कि मंदिर परिसर में जल्द ही पार्किंग स्थल, स्वच्छ पेयजल व्यवस्था और श्रद्धालुओं के लिए बैठने की उचित व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए अतिरिक्त फंड जुटाने की योजना भी बनाई जा रही है। प्रशासन से उम्मीद जताई गई है कि वे शीघ्र कार्रवाई करके जिर्णोद्धार कार्य में आ रही बाधाओं को दूर करेंगे।


📢 समिति का अंतिम संदेश: “आइए, हम सब मिलकर मुजफ्फरनगर के इस प्राचीन शिवमंदिर को उसका गौरव लौटाएं। सहयोग करें, विवादों से बचें और धार्मिक सौहार्द को बनाए रखें। यह मंदिर केवल एक इमारत नहीं, बल्कि हमारी आस्था का केंद्र है।”



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