Muzaffarnagar में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर एक जबरदस्त धरना-प्रदर्शन किया। इस आंदोलन के तहत किसानों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सम्बोधित एक 17 सूत्रीय ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा। भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत की अध्यक्षता में इस प्रदर्शन का आयोजन कचहरी परिसर में किया गया।

किसान और उनकी समस्याएं
किसानों की समस्याओं की लंबी सूची में सबसे प्रमुख मांग गन्ना मूल्य में वृद्धि, कृषि यंत्रों पर जीएसटी में छूट, और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुद्दे को लेकर दबाव बनाना है। भाकियू ने इन मुद्दों पर सख्त रुख अपनाते हुए सरकार से त्वरित समाधान की अपील की। यह धरना सरकार के खिलाफ एक ताकतवर संदेश था कि किसानों की समस्याओं की अनदेखी नहीं की जा सकती।

17 सूत्रीय ज्ञापन में क्या हैं प्रमुख मुद्दे?

  1. गन्ना मूल्य में वृद्धि – किसान चाहते हैं कि गन्ने के मूल्य में वृद्धि की जाए ताकि उन्हें उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सके।

  2. स्मार्ट मीटर का विरोध – किसानों का कहना है कि स्मार्ट मीटर से उन्हें बिजली की अधिक बिलिंग का सामना करना पड़ता है, जो उनके लिए अत्यधिक कठिनाई का कारण बन रहा है।

  3. एमएसपी की गारंटी – भाकियू ने सरकार से MSP को कानूनी रूप से लागू करने की मांग की है, ताकि किसानों को अपनी उपज का न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित हो सके।

  4. कृषि यंत्रों पर जीएसटी में छूट – किसानों का कहना है कि कृषि यंत्रों पर जीएसटी छूट मिलनी चाहिए, ताकि उनके लिए उन्नत कृषि उपकरण सस्ते और सुलभ हो सकें।

धरने में नेताओं का संबोधन
भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। उनका यह भी कहना था कि यह सरकार का नैतिक दायित्व है कि वह किसानों की समस्याओं के समाधान में गंभीर हो। टिकैत ने यह भी जोड़ा कि कृषि प्रधान देश में अगर किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता है, तो यह एक बड़ा चिंता का विषय बनता है।

किसानों का आंदोलन क्यों जरूरी?
टिकैत ने यह स्पष्ट किया कि यदि सरकार किसानों की समस्याओं को समय-समय पर सुलझाने के लिए योजनाएं बनाती रहती है, तो किसानों को आंदोलन और धरना देने की आवश्यकता नहीं होती। यही कारण है कि भाकियू को किसानों की समस्याओं को लेकर धरने और प्रदर्शनों का सहारा लेना पड़ता है।

धरने में कौन-कौन थे शामिल?
धरने में भाकियू के कई प्रमुख नेता उपस्थित रहे, जिनमें भाकियू जिलाध्यक्ष नवीन राठी, एनसीआर अध्यक्ष विकास शर्मा, पुरकाजी चेयरमैन जहीर फारूखी, कपिल सोम और ओमपाल सिंह प्रमुख रूप से शामिल थे। इन नेताओं ने किसानों के मुद्दों को लेकर अपनी आवाज बुलंद की और सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की।


किसानों के लिए सरकार की जिम्मेदारी
किसान हमेशा से देश की रीढ़ रहे हैं, और उनके बिना कृषि व्यवस्था का ठीक से चलना नामुमकिन है। जब तक सरकार किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता नहीं देती, तब तक इस तरह के आंदोलन और धरने होते रहेंगे। भाकियू की यह आंदोलन इस बात का संकेत है कि किसान अपनी समस्याओं के समाधान के लिए अब और चुप नहीं बैठेंगे।

कृषि नीति में सुधार की आवश्यकता
भारत में खेतीबाड़ी से जुड़ी कई समस्याएं हैं, जिनका हल तत्काल किया जाना चाहिए। सरकार को चाहिए कि वह कृषि से जुड़े कानूनों में सुधार करे और किसानों को राहत देने के उपायों को लागू करे। गन्ना मूल्य में वृद्धि, MSP की गारंटी, और कृषि यंत्रों पर जीएसटी छूट जैसे मुद्दे कृषि सुधार के महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं, जिन्हें सरकार को शीघ्र लागू करना चाहिए।

भाकियू की भूमिका और समर्थन
भारतीय किसान यूनियन हमेशा से किसानों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए संघर्षरत रही है। भाकियू का मानना है कि जब तक किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, तब तक वे अपनी आवाज उठाते रहेंगे। इस आंदोलन का उद्देश्य सरकार को यह याद दिलाना है कि किसानों की जरूरतों की अनदेखी नहीं की जा सकती।

भारतीय किसान यूनियन का यह आंदोलन किसानों की गंभीर समस्याओं के समाधान के लिए किया गया है। अब यह समय है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए ताकि किसानों को राहत मिल सके और वे अपनी मेहनत का उचित मूल्य पा सकें।



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